गुम होती,ईमानदारी,व इन्सानियत
सोने कि चिडिया कहते थे, जिसे कभी,
उस देश में आज हम, धारण कर चुके हैं भेडिये का रुप।
आदम जात,आज आदमी को काट खाने को है तत्पर,इस बात से होकर बेखबर।
कि कभी यह देश,सहिष्णुता का पैगाम लेकर,
निकल पडा था,
पुरी मानवता को,नयी राह दिखाने को।
पर आज तो,हालात इतने बदत्तर है्ं
नैतिकता का हो गया है,परिवार नियोजन,
और भाई भतिजा वाद एवम् भ्रष्टाचार,
बढती जनसख्या की तरह नियत्रण से बाहर है।
कभी मानवता थी जिसकी मूल भावना,
वहीं इमानदारी आज आउट आफ स्टाक है,
और इन्सानियत है अब खोज का बिषय।
मेरे देश में,सिर्फ एक वर्ग में यह गिरावट नही आई, अपितु हर वर्ग हर जाति,हर समुदाय में,
यह बदलाव आया है।
शेयर बाजार की तरह सरकारी,उपक्रमो की भान्ती इसमें लगातार गिरावट आरही है,
तथा अन्य कमाऊ उध्योगों के शेयरों कि तरह,
भ्रष्टाचार के बाजार भाव में उछाल जारी है।