गुणात्मक शिक्षा मे अभिभावकों का योगदान।
आधुनिक शिक्षा व्यवस्था विशेषकर सरकारी पाठशालाओं मे दी जाने वाली शिक्षा आजकल बहुत सारे प्रयोगों से गुजर रही है।अभी तक पुरी तरह सभी शिक्षाविद् इस निर्णय पर नही पहुंचे की कौन सी पद्धति प्रभावी होगी जिससे गुणात्मक शिक्षा मे सुधार हो।
हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था होने के कारण शिक्षा को भी उसी आईने से देखा गया है।परिणाम स्वरूप पाठशालाओं की संख्या बढ़ी है बावजूद इसके गुणात्मक शिक्षा मे सुधार नही हुआ बल्कि इसमें और ज्यादा गिरावट आयी है।कारण स्पष्ट है लेकिन उन को जानकर दरकिनार किया जाता है।इसका पूरा जिम्मा शिक्षक समाज पर डाला जाता है।हर प्रकार के प्रशिक्षण करवाकर, पाठशाला मे नित नये नियम लागू कर इसमें सुधार नही हो पाया है।
आज सरकारी पाठशाला मे नामांकन तक भारी संख्या मे गिर रहा है।
मेरे अनुभव के अनुसार सरकारी पाठशाला मे आने वाले अधिकांश बच्चों के माता-पिता या तो अपने बच्चों की शिक्षा के प्रति इतने जागरूक नही या वो अनपढ़ होते है।ऐसे माता-पिता को जागरूक करने की आवश्यकता है।अध्यापकों के प्रशिक्षण के स्थान पर ऐसे माता-पिता को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए जिससे समाज मे जागरूकता आये।स्कूल प्रबंधन समिति के प्रशिक्षण की तर्ज पर सभी अभिभावकों का प्रशिक्षण होना चाहिए तभी गुणात्मक शिक्षा मे सुधार होगा।साथ ही बच्चों के अभिभावकों को उनकी शिक्षा पूर्ण करवाने हेतु बाध्य करना चाहिए। अनिवार्य शिक्षा मे अभिभावकों की भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए। यहाँ तक की जो अभिभावक अपने बच्चों का नामांकन पाठशाला मे नही करवाता उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाए तभी गुणात्मक शिक्षा मे सुधार होगा। शिक्षा का अधिकार नियम मे अभिभावक भी जवाबदेह होने चाहिए।। तभी हमारा समाज सम्पूर्ण शिक्षित होगा।
शिक्षित समाज, विकसित समाज।
लेखक:– प्रेम कश्यप