**** गुजरते लम्हें ****
विषमता का झोंका
तूफा में बदला
पल कहां ठहरते हैं जिंदगी के
वह लम्हे भी गुजर गए
शीतल पवन की छांव ने
हमें सहेजा
वादा करने वाले
हमारी परिस्थिति देख मुकर गए
उन गुजरे लम्हों को
याद करके देखा
सुखी थी आंखें
फिर भी
मोती (नीर )बनकर बिखर गए ।।
राजेश व्यास अनुनय