Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jan 2019 · 1 min read

गीत

ऐ हवाओ ! बताओ जरा
*********************

प्राण लेकर गई हो कहाँ
ऐ हवाओ ! बताओ जरा
खलबली सी मची है यहाँ
ऐ हवाओ ! बताओ जरा

साथ जिसके हुआ कद बड़ा
ये जवानी हुई थी बड़ी
किस बला ने कहर ढा दिया
हाथ ने भी पकड़ ली छड़ी
हाथ किसका रहा है यहाँ
ऐ हवाओ ! बताओ जरा

कंठ कुछ भी नहीं कह सके
रह गये हकबके-हकबके
आसरों के सभी आसरे
रह गये सकसके-सकसके
शब्द अंतिम हुए क्या बयाँ
ऐ हवाओ ! बताओ जरा

दाख सपने हरे के हरे
घर की सरहद में अब तक पड़े
बात करने की कौन कहे
आज रिश्ते अड़े हैं सड़े
ठेघ पाऊँ कहाँ अब यहाँ
ऐ हवाओ ! बताओ जरा

गोद खाली हुई है भरी
आई कैसी उड़न तश्तरी
देह ऐसा लुआठा किया
फूल से भर गई गागरी
क्यों उजड़ा ये हँसता जहाँ
ऐ हवाओ ! बताओ जरा

शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
मेरठ

Language: Hindi
199 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
निरीह गौरया
निरीह गौरया
Dr.Pratibha Prakash
सम्पूर्ण सनातन
सम्पूर्ण सनातन
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
बैठे थे किसी की याद में
बैठे थे किसी की याद में
Sonit Parjapati
मोबाईल नहीं
मोबाईल नहीं
Harish Chandra Pande
मंजिल की तलाश में
मंजिल की तलाश में
Praveen Sain
बाल कविता: मोर
बाल कविता: मोर
Rajesh Kumar Arjun
जब मित्र बने हो यहाँ तो सब लोगों से खुलके जुड़ना सीख लो
जब मित्र बने हो यहाँ तो सब लोगों से खुलके जुड़ना सीख लो
DrLakshman Jha Parimal
प्याली से चाय हो की ,
प्याली से चाय हो की ,
sushil sarna
मेरे स्वयं पर प्रयोग
मेरे स्वयं पर प्रयोग
Ms.Ankit Halke jha
नशा और युवा
नशा और युवा
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
पूछ लेना नींद क्यों नहीं आती है
पूछ लेना नींद क्यों नहीं आती है
पूर्वार्थ
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
हार जाती मैं
हार जाती मैं
Yogi B
*पत्रिका का नाम : इंडियन थियोसॉफिस्ट*
*पत्रिका का नाम : इंडियन थियोसॉफिस्ट*
Ravi Prakash
तो मेरे साथ चलो।
तो मेरे साथ चलो।
Manisha Manjari
ग़ुमनाम जिंदगी
ग़ुमनाम जिंदगी
Awadhesh Kumar Singh
तमाम उम्र काट दी है।
तमाम उम्र काट दी है।
Taj Mohammad
■
■ "अ" से "ज्ञ" के बीच सिमटी है दुनिया की प्रत्येक भाषा। 😊
*Author प्रणय प्रभात*
ग़ज़ल/नज़्म - मेरे महबूब के दीदार में बहार बहुत हैं
ग़ज़ल/नज़्म - मेरे महबूब के दीदार में बहार बहुत हैं
अनिल कुमार
💐प्रेम कौतुक-180💐
💐प्रेम कौतुक-180💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मैं अपना गाँव छोड़कर शहर आया हूँ
मैं अपना गाँव छोड़कर शहर आया हूँ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
इश्क चाँद पर जाया करता है
इश्क चाँद पर जाया करता है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
हसलों कि उड़ान
हसलों कि उड़ान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
माँ
माँ
Dr Archana Gupta
"आशा" की कुण्डलियाँ"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
गीतिका
गीतिका "बचाने कौन आएगा"
लक्ष्मीकान्त शर्मा 'रुद्र'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
श्री रामलला
श्री रामलला
Tarun Singh Pawar
जनता मुफ्त बदनाम
जनता मुफ्त बदनाम
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
हो गई तो हो गई ,बात होनी तो हो गई
हो गई तो हो गई ,बात होनी तो हो गई
गुप्तरत्न
Loading...