Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Nov 2019 · 1 min read

गीत

आधार छंद–वाचिक भुजंग प्रयात
(मापनीयुक्त मात्रिक)
मापनी- लगागा लगागा लगागा लगागा
समान्त -आना ,पदान्त -न आया
****
तुम्हें भाव अपने दिखाना न आया,
कभी प्यार के गीत गाना न आया।

तुम्हें एक पाती कभी जो लिखी थी,
मुलाकात की बात उसमें कही थी,
कि दस्तूर मुझको निभाना न आया
तुम्हीं से कहूँ क्या बताना न आया ।
कभी प्यार के गीत …

छिपाते रहे राज हम आपसे जो,
शरारत निगाहें कि करने लगी थीं
नजर से हमें क्यों छुपाना न आया।
कभी पास अपने बुलाना न आया
कभी प्यार के गीत …

नजर जो उठी आपकी इस तरह से ।
जमाने की’ बातें सताने लगी थीं
बसायें जहां हम धवल चाँदनी में ।
सपन क्यों हमें ये सजाना न आया ।।
कभी प्यार के गीत …

कहानी हमारी अधूरी रही थी,
तड़प आज भी वो सताती रही है,
उलझती रही डोर मन की सदा जो ,
अहम को हमें क्यों मिटाना न आया ।
कभी प्यार के गीत …

स्वरचित
अनिता सुधीर

Language: Hindi
1 Like · 289 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वर दें हे मॉं शारदा, आए सच्चा ज्ञान (कुंडलिया)
वर दें हे मॉं शारदा, आए सच्चा ज्ञान (कुंडलिया)
Ravi Prakash
बहुमत
बहुमत
मनोज कर्ण
हमारी मोहब्बत का अंजाम कुछ ऐसा हुआ
हमारी मोहब्बत का अंजाम कुछ ऐसा हुआ
Vishal babu (vishu)
ज़िंदगी तेरा
ज़िंदगी तेरा
Dr fauzia Naseem shad
सूरज ढल रहा हैं।
सूरज ढल रहा हैं।
Neeraj Agarwal
विनती
विनती
Saraswati Bajpai
तेरी गली में बदनाम हों, हम वो आशिक नहीं
तेरी गली में बदनाम हों, हम वो आशिक नहीं
The_dk_poetry
💐प्रेम कौतुक-221💐
💐प्रेम कौतुक-221💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
....????
....????
शेखर सिंह
2945.*पूर्णिका*
2945.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
होली है!
होली है!
Dr. Shailendra Kumar Gupta
जितना बर्बाद करने पे आया है तू
जितना बर्बाद करने पे आया है तू
कवि दीपक बवेजा
‘निराला’ का व्यवस्था से विद्रोह
‘निराला’ का व्यवस्था से विद्रोह
कवि रमेशराज
पिता मेंरे प्राण
पिता मेंरे प्राण
Arti Bhadauria
ई-संपादक
ई-संपादक
Dr. Pradeep Kumar Sharma
चलो दो हाथ एक कर ले
चलो दो हाथ एक कर ले
Sûrëkhâ Rãthí
परिवार
परिवार
Sandeep Pande
शायद ये सांसे सिसक रही है
शायद ये सांसे सिसक रही है
Ram Krishan Rastogi
"बहनों के संग बीता बचपन"
Ekta chitrangini
हुईं वो ग़ैर
हुईं वो ग़ैर
Shekhar Chandra Mitra
रूप से कह दो की देखें दूसरों का घर,
रूप से कह दो की देखें दूसरों का घर,
पूर्वार्थ
मेरे उर के छाले।
मेरे उर के छाले।
Anil Mishra Prahari
तुम आये तो हमें इल्म रोशनी का हुआ
तुम आये तो हमें इल्म रोशनी का हुआ
sushil sarna
फर्ज़ अदायगी (मार्मिक कहानी)
फर्ज़ अदायगी (मार्मिक कहानी)
Dr. Kishan Karigar
सर्वप्रथम पिया से रँग लगवाउंगी
सर्वप्रथम पिया से रँग लगवाउंगी
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
कदम रोक लो, लड़खड़ाने लगे यदि।
कदम रोक लो, लड़खड़ाने लगे यदि।
Sanjay ' शून्य'
याद तो हैं ना.…...
याद तो हैं ना.…...
Dr Manju Saini
केहिकी करैं बुराई भइया,
केहिकी करैं बुराई भइया,
Kaushal Kumar Pandey आस
Khud ke khalish ko bharne ka
Khud ke khalish ko bharne ka
Sakshi Tripathi
"किरायेदार"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...