गीत
जब राज धर्म को अपनायें, अधिकार हमें मिल जाये।
तब साधु संत की रक्षा का, अधिभार हमें मिल जाये।
ये अपराधी क्यों खुले आज, विधि कल्प अधूरा क्यों है?
अब मातृभूमि की रक्षा का, संकल्प अधूरा क्यों है?
जब धर्म सनातन हित रक्षा, हथियार हमें मिल जायें।
तब साधु संत की रक्षा का अधिभार हमें मिल जाये।
जब राजधर्म को अपनायें…..
इन क्रूर कुटिल हत्यारों को, फाँसी ही देना होगा।
अब संत साधु की हत्या का, प्रतिकार शीघ्र ही होगा।
जब साधु संत हों सब समर्थ, सरकार हमें मिल जाये।
तब साधु संत की रक्षा का अधिभार हमें मिल जाये।
जब राजधर्म को अपनायें….
कवि का नाम:–डॉ० प्रवीण कुमार श्रीवास्तव,
“प्रेम”
पता:501,चर्च रोड, सिविल लाइंस सीतापुर
मोबाइल नंबर/ईमेल:9450022526