गीत–मन के हारे हार,मन के जीते जीत–
गीत..मन के हारे हार,मन के जीते जीत
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मन के हारे हार मन के जीते जीत।
जीतना है तो मन को जीत मेरे मीत।।
जीवन है संघर्ष इससे क्या कतराना।
करते-करते कर्म आगे बढ़ते जाना।
शहद पके सो मीठा होने की है रीत।
जीतना है तो………………………..।
करता फिरे बुराई और चाहे अच्छाई।
कर्मे-सिला है ये नेकी और रुसवाई।
जैसी करनी वैसी भरनी की है प्रीत।
जीतना है तो………………………..।
देखके तुम भीड़ यहाँ कभी न जाना डर।
शेर अकेला ही राजा और सब अनुचर।
जो जा बैठा चोटी उसके गाएँ गीत।
जीतना है तो…………………………।
राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”
प्रवक्ता हिंदी,
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय किरावड़(भिवानी)
पिन कोड़..127035