गीत :ज़िग़र मोहब्बत का है मंदिर..???
प्रेम मेरा है देख ज़रा तू,सुंदर मधुर मनोहर।
तेरी छवि दिल में बसी रहे आठों ही पहर।।
तू हवा-सी चंचल,झरनों-सी बहती कलकल।
तेरा रूप मेरी आँखों में सजता देख पलपल।
एक स्वर हो,एक ज़िग़र हो एक प्रीत डगर।
तेरी छवि……………………
तुझे हँसता देख मेरे दिल का चाँद खिलता है।
तेरा रूप इतना सलौना देख फ़रिश्ता जलता है।
मुझको भाता भोलापन ये सादापन तेरा निखर।
तेरी छवि…………………….
ये शर्मिली आँखें,ये नाज़ुक होठों के दो फूल।
मुझे सिखाते हैं रिझाकर वफ़ा के सारे उसूल।
यूँ लगता मेरा. दिल तेरी चाहतों का है शहर।
तेरी छवि…………………..
ये कोयल-सी बोली,ये ज़ालिम हैं तेरी अदाएँ।
मुझे लुभाती हैं बुलाकर चंचल भाव-भंगिमाएँ।
यूँ लगता मेरा मन तेरी आरज़ू की है डगर।
तेरी छवि……………………
ये केशों के बादल,हवा में लहराता ये आँचल।
मुझे बुलाता है सताकर चेहरे का काला तिल।
यूँ लगता है मेरा जिगर मोहब्बत का है मंदिर।
तेरी छवि…………………….
…राधेयश्याम बंगालिया..प्रीतम
कृत.सर्वाधिकार सुरक्षित गीत….???