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11 Dec 2017 · 1 min read

“गीतिका”

“गीतिका”

आया शुभ त्योहार दशहरा खास रहे
कटकुटिया की रात गोबर्धन वास रहे
जगमग है दिवाली अवली दियों की हैं
भैया दूज सुहाय बहन मन आस रहे।।

रावण का संहार महिषासुर सु मर्दन
विजय पताका राम शम्भु कैलाश रहे।।

शरद ऋतु जब आए नाचे खंजन पक्षी
शीतल मंद बयार विकल मधुमास रहे।।

कार्तिक बोले मोर शोर बैल रि घंटी
खेती करे किसान प्रवल विश्वास रहे।।

भारत की पहचान दिखे मंदिर मस्जिद
धर्म सार ईमान शुद्ध इतिहास रहे।।

‘गौतम’ मन का मीत मिला है मेले में
लिए हाथ में फूल महके सुबास रहे।।

महातम मिश्र गौतम गोरखपुरी

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