गीता पढ़. कविताएँ गयी गढ़ १/११
गीता पढ़. कविताएँ गयी गढ़ १/११
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हर हरि हरैया, हर हरि इच्छा l
सहज शब्द है, है गीता शिक्षा ll
मगन मन से बोलो, पल पल बोलो l
हर हरि हरैया, हर हरि इच्छा ll
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सत्य का साक्षात्कार है l
नष्ट बस होता आकार है ll
मृत्यु सत्य है, अटल है l
नष्ट बस होता, विकार है ll
ब्रह्माण्ड, नश्वर, अनष्ट l
परिवर्तन, बस साकार है ll
स्थिरता, अस्थिरता के l
बस बदलाव के, प्रकार है ll
चक्रो का. बस चक्कर है l
माया का, अधिकार है l
हर हरि इच्छा
हर में बस हरि है
हर हरि चमत्कार है
एक ही स्थिर है, सब अस्थिर है l
समय न रहे, शून्य हो जाये l
जो स्थिर, अस्थिर हो जाये ll
अरविन्द व्यास “प्यास”