Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 May 2021 · 3 min read

गाज़ियाबाद कै बियाह।

परसपुर से पसका जा रहा था। जीप में बैठा उकता रहा था। जीप वाले से पूछा कि भाई जीप कब चलेगी तो उसने बताया या तो अच्छी खासी सवारी मिल जाएं या फिर 1 बजे चलेगी। मैंने घड़ी देखी 12.30 बज रहे थे । सोचा आधा घंटे की बात है। थोड़ी देर के बाद दो छोटी लड़कियों के साथ एक महिला आई। थोड़ा चहल पहल शुरू हुई। लड़कियां काफी बातूनी थी। उनके बीच लगातार बातचीत हो रही थी। कुछ समय पश्चात एक महिला और आईं और उनके बीच भी वार्तालाप शुरू हो गया। आप लोगों की सुविधा के लिए पहली महिला का काल्पनिक नाम रानी और दूसरे का पूनम रखता हूँ।

पूनम : ऐ बहनी ई दूनों बिटिये आपके हैं।
रीना : नाहीं यहमा एक ठू लरिका है , जउन गाढा काजरवा लगाए है।
पूनम : दूनों बहुत तेज हैं , देखित है एकदम शांत नाहीं बैठ सकत हैं।
रीना : ई बात तो सही है , कहूँ अनचिन्ह नाहीं मानत हैं दूनों ।
पूनम : कहाँ से आवत हू।
रीना : गाजियाबाद में बियाह रहा वहीं गेन रहा , रिजेर्वेसन जरवल तक रहा , वहां हमार एक चाची रहीं रतिया का वहीं रुक गएन रहा। आज वै करनैलगंज तक छोडवाय दीन्ह अब संगम के पार मांझा जाइत है।
पूनम : बियाहे मां तो बड़ा मजा आवा होई ।
रीना : काहे का मज़ा , अब तौ हम कान पकर लिहेन , कोही के बियाहे मां दिल्ली , बम्बई , कलकत्ता कहुँ न जाब , जब दूल्हा दुलहिन गांव आइहैं तब जाएक मिल लेब।
पूनम : कुछ गड़बड़ होइ गवा रहा का ?
रीना : चाची कै डब्बा दूसर रहा हमार दूसर रहा , जब लड़कवन का सीटिया पर बैठाय दीन्ह तब सोचन जायके चाची से मिल आई , औ हम जब उतर कर आगे बढ़ गएन तौ डब्ब्वा भुलाय गएन, अब तो हम्मे बड़ी जोर घबराहट होय लाग।
पूनम : वहमां कौन बड़ी बात रही। अपने डब्ब्वा में वापिस चले जाएक रहा।
रीना : चली जाइत बहनी पर टिक्सवा प्रस्वे मां रहा आउर पर्सवा हम अपने सीट पर छोड़ आएन रहा।
पूनम : फिर !
रीना : फिर का हम अपनो डब्ब्वा भूल गएन रहा , अब हमरे निगाहे के आगे हमरे लरिकन का चेहरा आवा आउर हम भोकर छोड़ कर रोवेक शुरू किहेन , हमार रोआई सुनकर तीन चार बड़वार लरिका हमरे पास आये औ कहीन का हुआ चाची, हम उनका सब हाल सुनाएँन , रोआई रुकत नाहीं रही , सब पूछीन डब्बा कै नंबर याद है , तौ हम कहेन आखिरी में 4 लिखा रहा , तब सब कहै लागै की मुशिकल है पर चलो साथे पहचानने की कोशिश कीहो , हम कुछ पहचान वहचान नाहीं पाएन और गश खाइके गिर पड़ेंन।
पूनम : ई तौ बड़ा कठिन समय रहा ।
रीना : हाँ बहिनी , पर भगवान मनई के रूप मां फिरत है। सब पानी छीरक के हमें होश मां लाइन फिर एक ठो टिकस वाला आवा हमार नाम पूछिस औ बड़ी देर तक पन्ना पलट पलट हमार नाम खोज के हमे हमरे लड़िकन के पास पहुँचाइस।
पूनम : बहुत नीक आदमी रहा।
रीना : हाँ बहनी अबकी कातिक नहान मां हम ओकरे लिए वाराह मन्दिर मां पूजा अर्चना करब औ उन सब लोगन के खातिर भगवान से प्रार्थना करब की उन सबका तन धन मन से सुखी रखे आउर सबका लंबी आयु दें।

तब तक पसका आ गया और जीप वाराह मंदिर के थोड़ा आगे रुकी। मैंने भी जाकर वहां माथा नवाया और अपने दोस्त डॉक्टर राजेश भारती के क्लिनिक की तरफ बढ़ चला।

Language: Hindi
11 Likes · 1 Comment · 414 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हम जाति से शुद्र नहीं थे. हम कर्म से शुद्र थे, पर बाबा साहब
हम जाति से शुद्र नहीं थे. हम कर्म से शुद्र थे, पर बाबा साहब
जय लगन कुमार हैप्पी
प्यार टूटे तो टूटने दो ,बस हौंसला नहीं टूटना चाहिए
प्यार टूटे तो टूटने दो ,बस हौंसला नहीं टूटना चाहिए
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
हरि हृदय को हरा करें,
हरि हृदय को हरा करें,
sushil sarna
▫️ मेरी मोहब्बत ▫️
▫️ मेरी मोहब्बत ▫️
Nanki Patre
ख़ामोशी जो पढ़ सके,
ख़ामोशी जो पढ़ सके,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
💐Prodigy Love-46💐
💐Prodigy Love-46💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अनपढ़ व्यक्ति से ज़्यादा पढ़ा लिखा व्यक्ति जातिवाद करता है आ
अनपढ़ व्यक्ति से ज़्यादा पढ़ा लिखा व्यक्ति जातिवाद करता है आ
Anand Kumar
जीवन को
जीवन को
Dr fauzia Naseem shad
Life is like party. You invite a lot of people. Some leave e
Life is like party. You invite a lot of people. Some leave e
पूर्वार्थ
■ आज का संदेश
■ आज का संदेश
*Author प्रणय प्रभात*
किस किस से बचाऊं तुम्हें मैं,
किस किस से बचाऊं तुम्हें मैं,
Vishal babu (vishu)
कल आंखों मे आशाओं का पानी लेकर सभी घर को लौटे है,
कल आंखों मे आशाओं का पानी लेकर सभी घर को लौटे है,
manjula chauhan
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Srishty Bansal
सच ही सच
सच ही सच
Neeraj Agarwal
पुस्तकें
पुस्तकें
नन्दलाल सुथार "राही"
जीभ/जिह्वा
जीभ/जिह्वा
लक्ष्मी सिंह
बम
बम
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कोरा कागज और मेरे अहसास.....
कोरा कागज और मेरे अहसास.....
Santosh Soni
परोपकार
परोपकार
Raju Gajbhiye
रमेशराज के विरोधरस के गीत
रमेशराज के विरोधरस के गीत
कवि रमेशराज
बदली बारिश बुंद से
बदली बारिश बुंद से
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
मैं तो महज शराब हूँ
मैं तो महज शराब हूँ
VINOD CHAUHAN
गीत प्यार के ही गाता रहूं ।
गीत प्यार के ही गाता रहूं ।
Rajesh vyas
23/136.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/136.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वाह ! डायबिटीज हो गई (हास्य व्यंग्य)
वाह ! डायबिटीज हो गई (हास्य व्यंग्य)
Ravi Prakash
अलगौझा
अलगौझा
भवानी सिंह धानका "भूधर"
दौड़ते ही जा रहे सब हर तरफ
दौड़ते ही जा रहे सब हर तरफ
Dhirendra Singh
"खुश रहने के तरीके"
Dr. Kishan tandon kranti
सुनता जा शरमाता जा - शिवकुमार बिलगरामी
सुनता जा शरमाता जा - शिवकुमार बिलगरामी
Shivkumar Bilagrami
गंणतंत्रदिवस
गंणतंत्रदिवस
Bodhisatva kastooriya
Loading...