**गाने और तराने** मुक्तक
सदाबहार के गए जमाने, नए-नए अब गाने तराने।
ढूंढ रहा हूं कोई तो गाए लता रफी के नगमे पुराने।
कैसे कैसे बोल, बज रहे बेसुरे ढोल, पर्दे कान के फटे जा रहे
पकड़ नहीं पाता शब्दों को , आए कोई मुझ को समझाने ।।
राजेश व्यास अनुनय