Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jul 2017 · 3 min read

गाथा एक वीर की

रचना के पूर्ण रसास्वादन के लिए कृपया पूरा पढ़े …!

गाथा एक वीर की

******************

बहुत सुनी होंगी कहानिया रांझा और हीर की
आओ तुम्हे, आज सुनाये, गाथा एक वीर की
मर मिटते है जो, मातृभूमि पर हॅसते – हँसते
अँखियो में आंसू भरकर सुनाये गाथा वीर की !!

सीमा पर शहीद होने की खबर जब घर आई थी
सन्नाटा था पूरे गांव में शोक की लहर छाई थी
सुनकर दौड़ पड़ा, था हर कोई जो जिस हाल में
चीत्कार की आवाज जब उसके घर से आई थी !

कैसा अनर्थ हुआ आज धरा पे कैसी विपदा आई थी
कल ही तो उसने, जन्म दिन की खुशिया मनाई थी
इस हाल में तो ना वापस आना था प्यारे राजदुलारे
ऐसे तो न बिटिया ने घर आने की गुहार लगाईं थी !

सुनी थी जिसने भी ये खबर, ह्रदयाघात घना हुआ था
आँखों से बह रहे थे आंसू, सीना गर्व से तना हुआ था
भाग दौड़ में भी हो सकता सन्नाटा प्रथम बार ये देखा
पार्थिव शरीर आ रहा वीर का जो देश पर फ़ना हुआ था !

सैनिक दस्ते की अगवानी में आज आया था वीर
तिरंगे में लिपटकर आया था उसका पार्थिव शरीर
भीड़ भाड़ और गहमा गहमी ग़मगीन माहौल में
दर्शन करने को हर कोई आज हुआ जाता अधीर !!

क्षत विक्षत हुए शरीर को जब कांधो से उतारा गया
दर्शन को उमड़े समूह से एक एक कर पुकारा गया
बारी आयी जब सुत की, चीख उठा था वो नन्हा वीर
आह ! कितनी क्रूरता, बेदर्दी से पापा को मारा गया !!

रोती बिलखती बदहवास पत्नी की हालत बुरी थी
देखकर जाबांज का शव धड़ाम से धरा पे गिरी थी
लुट गया था पूर्ण संसार ये कैसी आफत की घड़ी
हाय रे ! नियति तूने ये कैसी किस्मत लिखी थी !!

रोते रोते व्यथा अपने मन कि वो सुनाने लगी
कल हुई थी बाते साजन से उन्हें दोहराने लगी
कह रहे थे चिंता न कर अकेला सब पर भारी हूँ
लौटना था, पर क्या इस हाल में, चिल्लाने लगी !!

इतनी भीड़ क्यों है, क्यों मम्मा रोती मुझे बताओ
आज आने वाले थे पापा कहाँ है मुझे भी मिलाओ
गोद उठाके बच्ची को जब देह के पास लाया गया
रुदन चीत्कार से कह उठी पापा मुझे गले लगाओ !!

देख हाल जिगर के टुकड़े का माँ से रहा न गया
स्तब्ध हुई थी काया, लबो से कुछ कहा न गया
मानो धरती फट गयी, आसमान भी झुक गया
छाती पीट बोली मेरा लाल बिना मिले चला गया !!

खबर मिलते ही ससुराल से बहना दौड़ी आई थी
किस बैरी ने दुनिया लूटी जो दुश्मनी निभाई थी
सुन बहन कि करुण पुकार तीनो लोक हिल गये
कहाँ गया बीर मेरे तूने कसम मेरी रक्षा कि खाई थी !!

एक कोने में बैठे बाप बेचारा का हाल बुरा था
हुआ जीवन में कौन पाप,कर ये मलाल रहा था
मै अभागा किस्मत का मारा क्यों जीवित हूँ
बूढ़े काँधे पे रख बेटे कि अर्थी बेहाल चला था !!

संभाल रहे थे सब मिलकर एक दूजे को अब कहा न जाये
हो रहा था गुणगान किस्से वीरता के सुन साँसे थम जाये
दुःख असहाय था, फिर भी गर्व सीने में हिलोरे मार रहा
निर्झर बहते मेरे भी नैना, किस्सा मुझ से कहा न जाये !!

आँखे रोती, मन भारी है, फिर भी सीना गर्व से फूले
धन्य हो जाये वो प्राणी, जो तुम्हारी चरण धूलि छूले
नमन धरती माता को, नमन है उस सूत जननी को
बार-बार अपनी कोख वारे तुझसा पूत जो आंगन झूले !!

!
!
!
डी के निवातिया !!

Language: Hindi
1 Like · 5257 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
असुर सम्राट भक्त प्रह्लाद – भातृ वध – 05
असुर सम्राट भक्त प्रह्लाद – भातृ वध – 05
Kirti Aphale
वर्तमान परिदृश्य में महाभारत (सरसी)
वर्तमान परिदृश्य में महाभारत (सरसी)
नाथ सोनांचली
प्यार की भाषा
प्यार की भाषा
Surinder blackpen
छोड़ दिया है मैंने अब, फिक्र औरों की करना
छोड़ दिया है मैंने अब, फिक्र औरों की करना
gurudeenverma198
■ मुक्तक-
■ मुक्तक-
*Author प्रणय प्रभात*
बटाए दर्द साथी का वो सच्चा मित्र होता है
बटाए दर्द साथी का वो सच्चा मित्र होता है
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
*
*"माँ कात्यायनी'*
Shashi kala vyas
मैं हैरतभरी नजरों से उनको देखती हूँ
मैं हैरतभरी नजरों से उनको देखती हूँ
ruby kumari
हों कामयाबियों के किस्से कहाँ फिर...
हों कामयाबियों के किस्से कहाँ फिर...
सिद्धार्थ गोरखपुरी
"कितना कठिन प्रश्न है यह,
शेखर सिंह
मेघ गोरे हुए साँवरे
मेघ गोरे हुए साँवरे
Dr Archana Gupta
पत्ते बिखरे, टूटी डाली
पत्ते बिखरे, टूटी डाली
Arvind trivedi
"घर की नीम बहुत याद आती है"
Ekta chitrangini
अध्यात्म का शंखनाद
अध्यात्म का शंखनाद
Dr.Pratibha Prakash
वजह ऐसी बन जाऊ
वजह ऐसी बन जाऊ
Basant Bhagawan Roy
ज़िंदगी ने कहां
ज़िंदगी ने कहां
Dr fauzia Naseem shad
*किसी की जेब खाली है, किसी के पास पैसे हैं 【मुक्तक】*
*किसी की जेब खाली है, किसी के पास पैसे हैं 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
"परमार्थ"
Dr. Kishan tandon kranti
फूलों से हँसना सीखें🌹
फूलों से हँसना सीखें🌹
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
पल भर कि मुलाकात
पल भर कि मुलाकात
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
*यह  ज़िंदगी  नही सरल है*
*यह ज़िंदगी नही सरल है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
तेरी चाहत हमारी फितरत
तेरी चाहत हमारी फितरत
Dr. Man Mohan Krishna
एक दिवाली ऐसी भी।
एक दिवाली ऐसी भी।
Manisha Manjari
2900.*पूर्णिका*
2900.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मयस्सर नहीं अदब..
मयस्सर नहीं अदब..
Vijay kumar Pandey
कैसी लगी है होड़
कैसी लगी है होड़
Sûrëkhâ Rãthí
आप प्रारब्ध वश आपको रावण और बाली जैसे पिता और बड़े भाई मिले
आप प्रारब्ध वश आपको रावण और बाली जैसे पिता और बड़े भाई मिले
Sanjay ' शून्य'
तनाव ना कुछ कर पाने या ना कुछ पाने की जनतोजहत  का नही है ज्य
तनाव ना कुछ कर पाने या ना कुछ पाने की जनतोजहत का नही है ज्य
पूर्वार्थ
परीक्षाएँ आ गईं........अब समय न बिगाड़ें
परीक्षाएँ आ गईं........अब समय न बिगाड़ें
पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर'
Loading...