Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jul 2020 · 3 min read

ताऊजी की सगाई

मेरे मझले नानाजी टाटानगर के प्रसिद्ध पुरोहित व विद्वान व्यक्ति थे।
अपनी ज्येष्ट पुत्री के संबंध के लिए रिश्ता तलाश रहे थे, तो किसी यजमान ने उन्हें हमारे घर व दादाजी के बारे मे बताया होगा।

एक दिन टाटानगर से वो हमारे गांव आये और अपने यजमान के रिश्तेदार जो हमारे गांव के प्रसिद्ध सेठ थे, की गद्दी(व्यापारिक लेन देन की जगह) पर पहुँच कर अपना परिचय और आने की मंशा बताई। सेठ जी ने उनको बड़े आदर सत्कार के साथ बैठाया,

और फ़ौरन ही अपने नौकर के हाथों खबर भेज कर दादाजी को बुलवाया ,जो उनके पुरोहित भी थे।

उम्र मे बड़े होने के कारण दादाजी उनका बहुत लिहाज करते थे।

आते ही, उन्होंने ने नानाजी का परिचय करवाया और कहा ये पंडित जी टाटानगर से आये हैं अपनी ज्येष्ट पुत्री के रिश्ते के लिये, तुम्हारा मझला बेटा भी अब विवाह योग्य हो गया है,

साथ मे ये भी कहा कि संबंध के लिए ये रिश्ता उत्तम है और मैंने तो हाँ भी कह दी है।

दादाजी को सोच पड़ता देख, उन्होंने झट से, ये भी अपनी ही तरफ से जोड़ दिया कि लड़की बहुत सुशील है और रामायण भी पढ़ लेती है।

दादाजी थोड़ा हिचकिचाए और बोले कि एक बार अपने बड़े भाई से भी सलाह मशवरा कर लूं।

इस बात पर सेठ जी ने हल्का गुस्सा दिखाते हुए कहा, अरे, तुम्हारे भाई जी यहां आकर सिर पर चढ़ेंगे क्या?

जब मैंने कह दिया कि ये रिश्ता हर तरह से ठीक है, तो इसके आगे कोई बात बनती है क्या?

दादाजी निरुत्तर थे।

फिर सेठ जी ने नाना जी की ओर देखकर कहा , लाइये तिलक के शगुन का एक रुपया दीजिये और इस रिश्ते को पक्का समझिए।

आप कोई अच्छा सा मुहूर्त निकाल कर मुझे सूचित कर दीजिएगा, हम बारात लेकर पहुँच जाएंगे।

इस आश्वासन के साथ नानाजी खुशी खुशी लौट गए।

दादाजी अब भी सेठ जी के पास बैठे हुए थे। उनको इस तरह बैठा हुआ देख सेठ जी ने कहा कि अब तुम भी अपने घर जाओ और घर वालों को भी ये खबर दे दो।

दादाजी फिर भी बैठे रहे, तो सेठ जी को थोड़ा समझ आया, उन्होंने तुरंत ही भांपते हुए कहा, अच्छा तो तुम इस एक रुपए के लिए बैठे हुए हो, वो तो मैं तुम्हे नही देने वाला।

इसकी तो मैं मिठाई मंगा कर खाऊंगा, आखिर तुम्हारा बेटा मेरा भी तो बेटा लगता है।

दादाजी खाली हाथ लौट गए।

न कोई जन्मपत्री मिलायी गयी, न ही कोई दहेज या लेन देन की ओछी बात हुई,

बस इतना ही काफी था कि दोनों परिवार खानदानी हैं ।
लड़के लड़की को क्या जाकर देखना दिखाना, बच्चे तो सबके एक जैसे ही होते हैं।

लोग संस्कारी परिवार के आगे कुछ देखने की जरूरत ही नही समझते थे। उनके पास ये दूरदृष्टि भी थी कि विवाह महज दो व्यक्तियों मामला नही हो सकता।

एक रिश्ता पूरे परिवार से जुड़ता है, इसलिए नए रिश्तों से जुड़ने से पहले उनकी जड़ों की गहराई पर ही ध्यान रखा जाता था।

हो सकता है कि आज के समय मे , रिश्ते तय करने का ये पैमाना गलत लगे।

और ये भी सही है कि बदलते दौर मे समय के अनुसार मान्यताएं भी जरूर बदलती है।

पर वो एक सरलता, अपनापन , दिखावे से रहित जिंदगी को हम कही पीछे छोड़ आये है।

मेरे ताऊजी ताईजी ने अपनी भरी पूरी जिंदगी एक दूसरे के साथ गुजारी।
ताऊजी को कई बार मजाक मे ताई जी को उलाहना देते जरूर सुना था कि तुमने यहाँ आकर अपनी जिंदगी मे एक बार भी रामायण नही पढ़ी, ताई जी ये सुनकर बस मुस्कुरा देती और कहती , आज खाने मे क्या बनाऊ?

Language: Hindi
3 Likes · 6 Comments · 281 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Umesh Kumar Sharma
View all
You may also like:
एकजुट हो प्रयास करें विशेष
एकजुट हो प्रयास करें विशेष
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
💐💐छोरी स्मार्ट बन री💐💐
💐💐छोरी स्मार्ट बन री💐💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
लखनऊ शहर
लखनऊ शहर
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
श्रम साधिका
श्रम साधिका
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
3074.*पूर्णिका*
3074.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नारी हूँ मैं
नारी हूँ मैं
Kavi praveen charan
* कैसे अपना प्रेम बुहारें *
* कैसे अपना प्रेम बुहारें *
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
त्याग
त्याग
Punam Pande
प्रेमी चील सरीखे होते हैं ;
प्रेमी चील सरीखे होते हैं ;
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
"धूप-छाँव" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
शब्द गले में रहे अटकते, लब हिलते रहे।
शब्द गले में रहे अटकते, लब हिलते रहे।
विमला महरिया मौज
■ क़ुदरत से खिलवाड़ खुद से खिलवाड़। छेड़ोगे तो छोड़ेगी नहीं।
■ क़ुदरत से खिलवाड़ खुद से खिलवाड़। छेड़ोगे तो छोड़ेगी नहीं।
*Author प्रणय प्रभात*
Love is
Love is
Otteri Selvakumar
मेरा लड्डू गोपाल
मेरा लड्डू गोपाल
MEENU
हमको मिलते जवाब
हमको मिलते जवाब
Dr fauzia Naseem shad
डिग्रीया तो बस तालीम के खर्चे की रसीदें है,
डिग्रीया तो बस तालीम के खर्चे की रसीदें है,
Vishal babu (vishu)
दोस्ती ना कभी बदली है ..न बदलेगी ...बस यहाँ तो लोग ही बदल जा
दोस्ती ना कभी बदली है ..न बदलेगी ...बस यहाँ तो लोग ही बदल जा
DrLakshman Jha Parimal
कुछ बातें ज़रूरी हैं
कुछ बातें ज़रूरी हैं
Mamta Singh Devaa
नफरत दिलों की मिटाने, आती है यह होली
नफरत दिलों की मिटाने, आती है यह होली
gurudeenverma198
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
बुरा वक्त
बुरा वक्त
लक्ष्मी सिंह
किसी को नीचा दिखाना , किसी पर हावी होना ,  किसी को नुकसान पह
किसी को नीचा दिखाना , किसी पर हावी होना , किसी को नुकसान पह
Seema Verma
*सावन आया गा उठे, मौसम मेघ फुहार (कुंडलिया)*
*सावन आया गा उठे, मौसम मेघ फुहार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
तर्जनी आक्षेेप कर रही विभा पर
तर्जनी आक्षेेप कर रही विभा पर
Suryakant Dwivedi
एक मुक्तक....
एक मुक्तक....
डॉ.सीमा अग्रवाल
Even if you stand
Even if you stand
Dhriti Mishra
शहीद की पत्नी
शहीद की पत्नी
नन्दलाल सुथार "राही"
आप वही बोले जो आप बोलना चाहते है, क्योंकि लोग वही सुनेंगे जो
आप वही बोले जो आप बोलना चाहते है, क्योंकि लोग वही सुनेंगे जो
Ravikesh Jha
बहाव के विरुद्ध कश्ती वही चला पाते जिनका हौसला अंबर की तरह ब
बहाव के विरुद्ध कश्ती वही चला पाते जिनका हौसला अंबर की तरह ब
Dr.Priya Soni Khare
भारत अपना देश
भारत अपना देश
प्रदीप कुमार गुप्ता
Loading...