Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Mar 2018 · 1 min read

गांव की पगडण्डी

गांव की पगडण्डी
*******************
हमरा* गांव मे पूज रहे सब
माई* दूर्गा चण्डी,
जाने का बस राह एक ठो
पूर्व पतरी* पगडण्डी।

बड़ा सुघर* लागत* है मेला
नाम लुअठहा* चण्डी,
गांव के बीचोबीच से जाला*
वहां तलक पगडण्डी।

गाठ जोड़ भईया* संग बऊधी*
पूजन जाईत* चण्डी,
वहां पूजारी हर दिन रहते
कहते हैं उन्हें डण्डी। (डण्डी बाबा)!

बहुते* कसके* वेद वो पढते
सभी कहें भरभण्डी*,
आध* कोस* तक गूंज रही
गांव की वह पगडण्डी।

बने प्रसाद दलभरुवी* रोटी
रसीयाव* माटी* के हांडी,
रामनवमी को चढे चढावा
खुश होती हैं चण्डी।
…………………….

शब्दार्थ
हमरा= हमारा
लागत = लगता है
माई = माँ
पतरी = संकरी, पतला
सुघर = सुंदर
लुअठहा = देवी स्थान
जाला = जाते है
भईया = भैया
बऊधी = बड़ी भाभी
जाईत = जा रहा, रही
बहुते = बहुत
कसके = जोर लगाकर, तेज बोलना, चिल्लाना
भरभण्डी = तेज बोलने वाला
आध = आधा
कोस = तीन कि.मी को कोस कहा जाता है
दलभरुवी – दाल भरी रोटी
रसीयाव = गुण का खीर
माटी = मिट्टी
————-✍
पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा , पश्चिमी चम्पारण
बिहार—८४५४५५

Language: Hindi
202 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all
You may also like:
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
कंचन कर दो काया मेरी , हे नटनागर हे गिरधारी
कंचन कर दो काया मेरी , हे नटनागर हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बिन बोले ही  प्यार में,
बिन बोले ही प्यार में,
sushil sarna
बेरहम जिन्दगी के कई रंग है ।
बेरहम जिन्दगी के कई रंग है ।
Ashwini sharma
नया मानव को होता दिख रहा है कुछ न कुछ हर दिन।
नया मानव को होता दिख रहा है कुछ न कुछ हर दिन।
सत्य कुमार प्रेमी
आंसू
आंसू
नूरफातिमा खातून नूरी
लड़की की जिंदगी/ कन्या भूर्ण हत्या
लड़की की जिंदगी/ कन्या भूर्ण हत्या
Raazzz Kumar (Reyansh)
धीरे धीरे  निकल  रहे  हो तुम दिल से.....
धीरे धीरे निकल रहे हो तुम दिल से.....
Rakesh Singh
* मुस्कुरा देना *
* मुस्कुरा देना *
surenderpal vaidya
*घर में बैठे रह गए , नेता गड़बड़ दास* (हास्य कुंडलिया
*घर में बैठे रह गए , नेता गड़बड़ दास* (हास्य कुंडलिया
Ravi Prakash
चुनावी साल में
चुनावी साल में
*Author प्रणय प्रभात*
*मेरी इच्छा*
*मेरी इच्छा*
Dushyant Kumar
"क्या देश आजाद है?"
Ekta chitrangini
"मधुर स्मृतियों में"
Dr. Kishan tandon kranti
सच बोलने की हिम्मत
सच बोलने की हिम्मत
Shekhar Chandra Mitra
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मुकद्दर से ज्यादा
मुकद्दर से ज्यादा
rajesh Purohit
मछली कब पीती है पानी,
मछली कब पीती है पानी,
महेश चन्द्र त्रिपाठी
एक जहाँ हम हैं
एक जहाँ हम हैं
Dr fauzia Naseem shad
कविता : याद
कविता : याद
Rajesh Kumar Arjun
कुर्सी
कुर्सी
Bodhisatva kastooriya
" भूलने में उसे तो ज़माने लगे "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
3193.*पूर्णिका*
3193.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
लिख दो किताबों पर मां और बापू का नाम याद आए तो पढ़ो सुबह दोप
लिख दो किताबों पर मां और बापू का नाम याद आए तो पढ़ो सुबह दोप
★ IPS KAMAL THAKUR ★
यह गोकुल की गलियां,
यह गोकुल की गलियां,
कार्तिक नितिन शर्मा
जमाना गुजर गया उनसे दूर होकर,
जमाना गुजर गया उनसे दूर होकर,
संजय कुमार संजू
💐प्रेम कौतुक-531💐
💐प्रेम कौतुक-531💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Alahda tu bhi nhi mujhse,
Alahda tu bhi nhi mujhse,
Sakshi Tripathi
ऐसा बदला है मुकद्दर ए कर्बला की ज़मी तेरा
ऐसा बदला है मुकद्दर ए कर्बला की ज़मी तेरा
shabina. Naaz
जब अपनी बात होती है,तब हम हमेशा सही होते हैं। गलत रहने के बा
जब अपनी बात होती है,तब हम हमेशा सही होते हैं। गलत रहने के बा
Paras Nath Jha
Loading...