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6 Apr 2020 · 1 min read

ग़ज़ल

मेरे गांव का हर आदमी उदास क्यूं है
कल का सुनामी मंज़र आज याद क्यू है
लग रहा है वक्त थम सा गया है
सुबह कब होगा अभी रात क्यू है
दिल को सुकून नहीं मिलता कहीं
पहले नहीं था ऐसा तोआज क्यूं है
वो लीडर अमन की हवाएं नहीं बहाया
तो उसके सर पर चमकता ताज क्यू है
सुलझे नहीं उलझे हुए उलझने” नूरी”
इतना समझदार ये समाज क्यू है

नूरफातिमा खातून” नूरी”
६/४/२०२०

1 Like · 267 Views
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