Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Dec 2018 · 1 min read

ग़ज़ल

—-ग़ज़ल—-
मेरा तो कोई अभी “—-“इम्तिहान बाक़ी है
जो चश्मे-नाज़ में —-ताज़ा उफान बाक़ी है

पनाह दर पे तुम्हारे—– नहीं तो ग़म ही नहीं
अभी तो सारा ज़मीं ——आसमान बाक़ी है

तुम्हारे ग़म की ये —— परछाइयाँ सताती हैं
हरेक ज़ख़्म के दिल—– पे निशान बाक़ी है

परों को काट के—– सोचा उड़ेगा कैसे मगर
अभी तो हौसले——– बाक़ी उड़ान बाक़ी है

कभी बिखरने —–नहीं देगा तुमको ऐ फूलों
मेरे चमन का ———अभी बाग़बान बाक़ी है

कहानी क़िस्से तो ——–तुमने बहुत सुने होंगे
हमारे दिल की ———अभी दास्तान बाक़ी है

महल गिराया है “प्रीतम” के ख़्वाब का लेकिन,
तिरे करम का——– शिक़स्ता मकान बाक़ी है

प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)

190 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
🙏गजानन चले आओ🙏
🙏गजानन चले आओ🙏
SPK Sachin Lodhi
जी करता है , बाबा बन जाऊं - व्यंग्य
जी करता है , बाबा बन जाऊं - व्यंग्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उज्जयिनी (उज्जैन) नरेश चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य
उज्जयिनी (उज्जैन) नरेश चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य
Pravesh Shinde
रिश्तों में...
रिश्तों में...
Shubham Pandey (S P)
*जीवन में खुश रहने की वजह ढूँढना तो वाजिब बात लगती है पर खोद
*जीवन में खुश रहने की वजह ढूँढना तो वाजिब बात लगती है पर खोद
Seema Verma
कैसी है ये जिंदगी
कैसी है ये जिंदगी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
साल को बीतता देखना।
साल को बीतता देखना।
Brijpal Singh
खुशनसीब
खुशनसीब
Bodhisatva kastooriya
🥀 *✍अज्ञानी की*🥀
🥀 *✍अज्ञानी की*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
शुक्रिया कोरोना
शुक्रिया कोरोना
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हिंदी पखवाडा
हिंदी पखवाडा
Shashi Dhar Kumar
2474.पूर्णिका
2474.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
उलझन से जुझनें की शक्ति रखें
उलझन से जुझनें की शक्ति रखें
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
देशभक्ति का राग सुनो
देशभक्ति का राग सुनो
Sandeep Pande
निजी विद्यालयों का हाल
निजी विद्यालयों का हाल
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
सावन: मौसम- ए- इश्क़
सावन: मौसम- ए- इश्क़
Jyoti Khari
दिल के दरवाजे भेड़ कर देखो - संदीप ठाकुर
दिल के दरवाजे भेड़ कर देखो - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
देते फल हैं सर्वदा , जग में संचित कर्म (कुंडलिया)
देते फल हैं सर्वदा , जग में संचित कर्म (कुंडलिया)
Ravi Prakash
चढ़ा हूँ मैं गुमनाम, उन सीढ़ियों तक
चढ़ा हूँ मैं गुमनाम, उन सीढ़ियों तक
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
रंग पंचमी
रंग पंचमी
जगदीश लववंशी
जय जगन्नाथ भगवान
जय जगन्नाथ भगवान
Neeraj Agarwal
शायद ...
शायद ...
हिमांशु Kulshrestha
M.A वाले बालक ने जब तलवे तलना सीखा था
M.A वाले बालक ने जब तलवे तलना सीखा था
प्रेमदास वसु सुरेखा
आह जो लब से निकलती....
आह जो लब से निकलती....
अश्क चिरैयाकोटी
*चाल*
*चाल*
Harminder Kaur
23-निकला जो काम फेंक दिया ख़ार की तरह
23-निकला जो काम फेंक दिया ख़ार की तरह
Ajay Kumar Vimal
दो शब्द
दो शब्द
Dr fauzia Naseem shad
क्या यही संसार होगा...
क्या यही संसार होगा...
डॉ.सीमा अग्रवाल
■ चल गया होगा पता...?
■ चल गया होगा पता...?
*Author प्रणय प्रभात*
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
Loading...