ग़ज़ल
ग़ज़ल—–
तनफ़्फुर की दिल में हुक़ूमत न होती
किसी की किसी से अदावत न होती
जो हिन्दू मुसलमां सभी एक रहते
तो फिर देश की ऐसी हालत न होती
नहीं जान देते ये — हिन्दू मुसलमां
जो भारत में ऐसी—-नफ़ासत न होती
मुहब्बत से कोई ——नहीं पेश आता,
अगर मुझ पे रब की –इनायत न होती
दुआएँ न देते जो —–माँ बाप “प्रीतम”
किसी किस्म की घर में बरक़त न होती
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)