Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Nov 2017 · 1 min read

ग़ज़ल: मुझे बहकाने लगी है ।

ग़ज़ल: मुझे बहकाने लगी है ।
// दिनेश एल० “जैहिंद”

जब से खामोशियाँ मुस्काने लगी हैं,
मेरी कुछ ख्वाहिशें सुगबुगाने लगी हैं ।

अब तलक मोहब्बत से अनजान था मैं,
तेरी मुस्कान मुझे बहकाने लगी है ।

मुझ परिंदे को इश्क़ की हवा लगी के,
तेरी उलफ़त धड़कन बढ़ाने लगी है ।

इश्क़-सा मज़ा कहीं और नहीं है यार,
मेरी अक्ल नादां अब मनाने लगी है ।

दिल में दिल का घरौंदा बनाके देख तो,
बारहा दिल को वो समझाने लगी है ।

“जैहिंद” इश्क़ में डूब के खुदा मिलेगा,
उसकी आशिकी मुझे बतलाने लगी है ।

==============
दिनेश एल० “जैहिंद”
06. 06. 2017

213 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"सहेज सको तो"
Dr. Kishan tandon kranti
चुलियाला छंद ( चूड़मणि छंद ) और विधाएँ
चुलियाला छंद ( चूड़मणि छंद ) और विधाएँ
Subhash Singhai
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति
Er. Sanjay Shrivastava
💐 Prodigy Love-5💐
💐 Prodigy Love-5💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
स्वाधीनता संग्राम
स्वाधीनता संग्राम
Prakash Chandra
महफिले सजाए हुए है
महफिले सजाए हुए है
Harminder Kaur
तुम से सिर्फ इतनी- सी इंतजा है कि -
तुम से सिर्फ इतनी- सी इंतजा है कि -
लक्ष्मी सिंह
Scattered existence,
Scattered existence,
पूर्वार्थ
योग दिवस पर
योग दिवस पर
डॉ.सीमा अग्रवाल
बस चार ही है कंधे
बस चार ही है कंधे
Rituraj shivem verma
करके घर की फ़िक्र तब, पंछी भरे उड़ान
करके घर की फ़िक्र तब, पंछी भरे उड़ान
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
गैरों से कोई नाराजगी नहीं
गैरों से कोई नाराजगी नहीं
Harminder Kaur
मेरे दिल के खूं से, तुमने मांग सजाई है
मेरे दिल के खूं से, तुमने मांग सजाई है
gurudeenverma198
रजनी कजरारी
रजनी कजरारी
Dr Meenu Poonia
मैथिली साहित्य मे परिवर्तन से आस जागल।
मैथिली साहित्य मे परिवर्तन से आस जागल।
Acharya Rama Nand Mandal
सिद्धत थी कि ,
सिद्धत थी कि ,
ज्योति
*समान नागरिक संहिता गीत*
*समान नागरिक संहिता गीत*
Ravi Prakash
आलता-महावर
आलता-महावर
Pakhi Jain
*नीम का पेड़*
*नीम का पेड़*
Radhakishan R. Mundhra
हर प्रेम कहानी का यही अंत होता है,
हर प्रेम कहानी का यही अंत होता है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
पश्चिम हावी हो गया,
पश्चिम हावी हो गया,
sushil sarna
अच्छा ही हुआ कि तुमने धोखा दे  दिया......
अच्छा ही हुआ कि तुमने धोखा दे दिया......
Rakesh Singh
पिता संघर्ष की मूरत
पिता संघर्ष की मूरत
Rajni kapoor
"बेखुदी "
Pushpraj Anant
👍कमाल👍
👍कमाल👍
*Author प्रणय प्रभात*
पुस्तक समीक्षा-सपनों का शहर
पुस्तक समीक्षा-सपनों का शहर
दुष्यन्त 'बाबा'
प्रेत बाधा एव वास्तु -ज्योतिषीय शोध लेख
प्रेत बाधा एव वास्तु -ज्योतिषीय शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
2724.*पूर्णिका*
2724.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
योग
योग
जगदीश शर्मा सहज
अब तो  सब  बोझिल सा लगता है
अब तो सब बोझिल सा लगता है
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
Loading...