— गरूर किस चीज का —
मत कर अभिमान
झूठी तेरी शान
मत कर अभिमान रे बन्दे
क्या लाया
क्या लेकर जाना है
इस जिन्दगी का
यही तो बस फ़साना है
खाली हाथ भेजा था
खाली होकर जाना है
मत कर तेरा मेरा
यह अहंकार किस को दिखाना है
तेरी किस्मत का
कोई ले नही पायेगा
क्यूं करता है गरूर
गरूर किसी काम न आएगा
जो पहले आया , वो भी गया
जो बाद में आएगा
वो भी यहाँ न रूक पायेगा
सब सीख जाने वालों से
तेरी तस्वीर पर भी
कोई न कोई माला पहनायेगा
मत कर अभिमान
मत कर रे अभिमान
अजीत कुमार तलवार
मेरठ