Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Nov 2020 · 1 min read

गरीब जैसे कूड़े के ढेरों

गरीब जैसे कूड़े के ढ़ेर
******************

कुड़े के ढेर सा होता है,
गरीबों का जनजीवन,
जैसे अवांछित सामग्री,
और शेष अवशेष गंदगी,
जमा होती रहती है सदैव,
और बढ़ता ही रहता है,
बड़ा सा कूड़े का वो ढ़ेर,
बिल्कुल ठीक उसी तर्ज पर,
अमीरो का बचा खुचा खाना,
मिलता भी उनको जिनको पहचाना,
रईसजादों से खैरात में मिले हुए,
फटे पुराने पहन के छोड़े वस्त्र,
और घिसे हुए उनके चमड़े के जूते,
जब नये उनके पैरों में पहने होते है,
बात बात पर पड़ते हैं उन्हीं के सिर,
और पुराने हो जाने पर वही जूते
आ जाते हैं मैले कुचेले पैरों में,
कम करने के लिए शीतलहरों की ठंड,
ताकती रहती हैं सूखी और सुर्ख आँखें,
कब मिल जाएंगे उनको भीख में,
साहिब के फहने हुए जूते और वस्त्र,
गरीबी में गरीबों से दूर हो जाते हैं,
उनके अपने और उनके बेहद करीबी,
नहीं समझते गरीबों की उपासना,
और मनसीरत सदैव रंक रहते हैं,
दयनीय और असहाय,
और वही ढ़ाक के तीन पात……..।
*******************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
495 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
** मुक्तक **
** मुक्तक **
surenderpal vaidya
#कड़े_क़दम
#कड़े_क़दम
*Author प्रणय प्रभात*
अपनी नज़र में खुद
अपनी नज़र में खुद
Dr fauzia Naseem shad
"मन-मतंग"
Dr. Kishan tandon kranti
राम कहने से तर जाएगा
राम कहने से तर जाएगा
Vishnu Prasad 'panchotiya'
छोड़ दिया किनारा
छोड़ दिया किनारा
Kshma Urmila
चाय बस चाय हैं कोई शराब थोड़ी है।
चाय बस चाय हैं कोई शराब थोड़ी है।
Vishal babu (vishu)
वक्त
वक्त
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
गाँव की प्यारी यादों को दिल में सजाया करो,
गाँव की प्यारी यादों को दिल में सजाया करो,
Ranjeet kumar patre
जब दूसरो को आगे बड़ता देख
जब दूसरो को आगे बड़ता देख
Jay Dewangan
बीन अधीन फणीश।
बीन अधीन फणीश।
Neelam Sharma
"शाम की प्रतीक्षा में"
Ekta chitrangini
3156.*पूर्णिका*
3156.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
💐प्रेम कौतुक-315💐
💐प्रेम कौतुक-315💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मेरा भी कुछ लिखने का मन करता है,
मेरा भी कुछ लिखने का मन करता है,
डॉ. दीपक मेवाती
बोलते हैं जैसे सारी सृष्टि भगवान चलाते हैं ना वैसे एक पूरा प
बोलते हैं जैसे सारी सृष्टि भगवान चलाते हैं ना वैसे एक पूरा प
Vandna thakur
विचार और रस [ दो ]
विचार और रस [ दो ]
कवि रमेशराज
जनता  जाने  झूठ  है, नेता  की  हर बात ।
जनता जाने झूठ है, नेता की हर बात ।
sushil sarna
Quote
Quote
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अपने
अपने
Shyam Sundar Subramanian
इस राह चला,उस राह चला
इस राह चला,उस राह चला
TARAN VERMA
अज्ञानता निर्धनता का मूल
अज्ञानता निर्धनता का मूल
लक्ष्मी सिंह
शेरे-पंजाब
शेरे-पंजाब
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
उम्र  बस यूँ ही गुज़र रही है
उम्र बस यूँ ही गुज़र रही है
Atul "Krishn"
जीवन की यह झंझावातें
जीवन की यह झंझावातें
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
मैं खुश हूँ! गौरवान्वित हूँ कि मुझे सच्चाई,अच्छाई और प्रकृति
मैं खुश हूँ! गौरवान्वित हूँ कि मुझे सच्चाई,अच्छाई और प्रकृति
विमला महरिया मौज
*मधुमास में मृदु हास ही से, सब सुवासित जग करें (गीत)*
*मधुमास में मृदु हास ही से, सब सुवासित जग करें (गीत)*
Ravi Prakash
इंसान अच्छा है या बुरा यह समाज के चार लोग नहीं बल्कि उसका सम
इंसान अच्छा है या बुरा यह समाज के चार लोग नहीं बल्कि उसका सम
Gouri tiwari
बचपन का प्यार
बचपन का प्यार
Vandna Thakur
भरे मन भाव अति पावन....
भरे मन भाव अति पावन....
डॉ.सीमा अग्रवाल
Loading...