गरीबी
——-विषय -ग़रीबी—-
ग़रीबी लाचार बना देती है
जीवन बेकार बना देती है।
रोटी मांगने के लिएउसका
अजीब व्यवहार बना देती है।
गरीब बेबस नजरों से ताका करते हैं
हफ्ते में दो चार दिन फाका करते हैं
कौन थाली में दो- चार टुकड़े डाले
इस आस में सड़क पर झांका करते हैं।
गरीबी का कोई मजहब नहीं होता
जिन्दगी जीने का सबब नहीं होता
रोटी की तलाश में बावला हो जाए
भूखे आदमी में अदब नहीं होता।
नूरफातिमा खातून नूरी
जिला-कुशीनगर
उत्तर प्रदेश