Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Sep 2016 · 1 min read

गरीबी का मजाक (रिम्स घटना पर रचना)

क तुम यूँ मेरी गरीबी का मजाक मत उड़ाओ,
परमपिता परमात्मा के खेल बड़े निराले हैं।
इतिहास पढ़ना फुर्सत में सच जान जाओगे,
रंक से राजा और राजा से रंक बना डाले हैं।

ये अपमान केवल मेरा नहीं अन्न का भी है,
नसीबों वाले को ही मिलते इसके निवाले हैं।
एक दिन तरसोगे तुम दाने दाने को देखना,
अभी तो अमीरी के पड़ें आँखों पर जाले हैं।

अख़बार में पढ़कर खबर हल्ला मचा दिया,
पर हकीकत में हमने मुँह पर लगाये ताले हैं।
सरकार जाँच बिठाकर पल्ला झाड़ लेगी,
पहले भी सरकार ने बड़े बड़े मामले टाले हैं।

सुलक्षणा दोष किसका है तुम ही बता दो,
सच्चाई यही है इंसान आज मन से काले हैं।
तीन सौ करोड़ सालाना बजट है रिम्स का,
फिर भी हम गरीबों के लिए बर्तनों के लाले हैं।

©® डॉ सुलक्षणा अहलावत े

Language: Hindi
459 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Dr arun kumar शास्त्री
Dr arun kumar शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
* खूब कीजिए प्यार *
* खूब कीजिए प्यार *
surenderpal vaidya
"मौत की सजा पर जीने की चाह"
Pushpraj Anant
Go wherever, but only so far,
Go wherever, but only so far,"
पूर्वार्थ
पैर धरा पर हो, मगर नजर आसमां पर भी रखना।
पैर धरा पर हो, मगर नजर आसमां पर भी रखना।
Seema gupta,Alwar
हिंदी दलित साहित्य में बिहार- झारखंड के कथाकारों की भूमिका// आनंद प्रवीण
हिंदी दलित साहित्य में बिहार- झारखंड के कथाकारों की भूमिका// आनंद प्रवीण
आनंद प्रवीण
#शेर
#शेर
*Author प्रणय प्रभात*
रहे_ ना _रहे _हम सलामत रहे वो,
रहे_ ना _रहे _हम सलामत रहे वो,
कृष्णकांत गुर्जर
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
- ଓଟେରି ସେଲଭା କୁମାର
Otteri Selvakumar
दो पल देख लूं जी भर
दो पल देख लूं जी भर
आर एस आघात
దీపావళి కాంతులు..
దీపావళి కాంతులు..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
कब टूटा है
कब टूटा है
sushil sarna
हँसने-हँसाने में नहीं कोई खामी है।
हँसने-हँसाने में नहीं कोई खामी है।
लक्ष्मी सिंह
💐अज्ञात के प्रति-35💐
💐अज्ञात के प्रति-35💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
माँ की गोद में
माँ की गोद में
Surya Barman
93. ये खत मोहब्बत के
93. ये खत मोहब्बत के
Dr. Man Mohan Krishna
"चुलबुला रोमित"
Dr Meenu Poonia
2591.पूर्णिका
2591.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
धूम भी मच सकती है
धूम भी मच सकती है
gurudeenverma198
*पाया दुर्लभ जन्म यह, मानव-तन वरदान【कुंडलिया】*
*पाया दुर्लभ जन्म यह, मानव-तन वरदान【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
सच का सूरज
सच का सूरज
Shekhar Chandra Mitra
गलतियों को स्वीकार कर सुधार कर लेना ही सर्वोत्तम विकल्प है।
गलतियों को स्वीकार कर सुधार कर लेना ही सर्वोत्तम विकल्प है।
Paras Nath Jha
नेता जब से बोलने लगे सच
नेता जब से बोलने लगे सच
Dhirendra Singh
बंदरा (बुंदेली बाल कविता)
बंदरा (बुंदेली बाल कविता)
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
 मैं गोलोक का वासी कृष्ण
 मैं गोलोक का वासी कृष्ण
Pooja Singh
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shweta Soni
पड़ते ही बाहर कदम, जकड़े जिसे जुकाम।
पड़ते ही बाहर कदम, जकड़े जिसे जुकाम।
डॉ.सीमा अग्रवाल
ज़िन्दगी का रंग उतरे
ज़िन्दगी का रंग उतरे
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अहसान का दे रहा हूं सिला
अहसान का दे रहा हूं सिला
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हादसों का बस
हादसों का बस
Dr fauzia Naseem shad
Loading...