Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Sep 2019 · 3 min read

गधा महान

”अरे, मेरे बिस्तर में यह बर्फ का डेला किसने लाकर रख दिया।“ दादी ने लगभग चिल्लाते हुए कहा। आखिर सर्दी अपने चरम पर जो थी। ”दादी, यह सोनू बहुत देर से नंगे पैर घूम रहा है, इसने ही ठंडे पैर लगाए होंगे।” मोनू ने दादी का भला बनते हुए कहा और दादी से चिपक गया। अब दादी ने मोनू को अपने करीब कर लिया था, ऐसा करने से उनको सर्दी में कुछ राहत महसूस हुई।
सोनूः दादी आज कोई अच्छी सी कहानी सुनाइए।
दादीः पहले पैर धोकर, सेंककर और मोजे पहनकर आओ। फिर सुनाऊंगी कहानी।
सोनूः अच्छा ठीक है, मैं जब तक नहीं आ जाऊं, आप शुरू मत करना।
मोनूः दादी्! आज कौन सी कहानी सुनाओगी?
दादीः एक गधे की कहानी सुनाने जा रही हूं।
कहानी सुनाने की तैयारियां चल ही रही थीं, इतने में सोनू पैर धोकर, सेंककर और मोजे पहनकर आ चुका था।
सोनूः दादी अब मेरे पैर गर्म हो गए, अब तो पास लिटाओगी न?
दादीः ”हां, अब ठीक है, दूसरी तरफ लेट जाओ।”
दादी ने अब कहानी सुनानी शुरू की…”किसी मंदिर में एक पंडित जी रहते थे। उनके पास एक गधा था। रोजाना सैकड़ों भक्त उस मंदिर पर आकर माथा टेकते और दान-दक्षिणा चढ़ाते थे।
सोनूः यह दान-दक्षिणा क्या होता है?
मोनूः अरे बुद्धू, रुपयों को दान-दक्षिणा कहते हैं।
दादी ने फिर शुरू किया, ”तो बच्चों पंडित जी के भक्तों में एक धोबी भी था। वह बहुत गरीब था और रोजाना आकर माथा टेकता था। पंडित जी की सेवा करता था। फिर अपने काम पर चला जाता।
सोनूः दादी वह क्या काम करता था।
दादीः उसका कपड़े का व्यापार था। कपड़ों की भारी पोटली कंधों पर लादकर सुबह से शाम तक गलियों में फेरी लगाता और कपड़े बेचता था।
मोनूः दादी, उस पर मोटर साइकिल नहीं थी।
सोनूः बताया न कि वह गरीब था, कहानी सुनना है तो ध्यान से सुनो।
दादीः पहले तुम दोनों आपस में बातें कर लो, कहानी फिर सुन लेना। रात हो रही है, अभी तुम्हारी मम्मी का सोने के लिए बुलावा आ जाएगा… हां, तो एक दिन पंडित जी को उस गरीब धोबी पर दया आ गई और अपना गधा उसे भेंट कर दिया। अब तो धोबी की लगभग सारी दिक्कतें दूर होने लगीं। वह सारे कपड़े गधे पर लादता और जब थक जाता तो खुद भी गधे पर बैठ जाता। अब गधा भी अपने नए मालिक से बहुत घुल मिल चुका था।
सोनूः इसका मतलब, उसकी गधे से दोस्ती हो गई थी।
मोनूः अब बीच में क्यों बोल रहे हो?
दादीः चलो, अब बाकी कहानी कल सुनना।
सोनूः अरे नहीं, दादी! अब कोई नहीं बोलेगा।
दादी ने फिर शुरू किया…इस तरह कुछ महीने गुजर गए। एक दिन गधे की मौत हो गई। धोबी बहुत दुखी हुआ। उसने गधे को एक सही जगह पर दफना दिया और उसकी समाधि तैयार हो गई। अब धोबी फूट-फूटकर रोने लगा। करीब से गुजर रहे किसी गांव वाले ने जब यह देखा तो सोचा, जरूर यह किसी सिद्ध पुरुष या संत-महात्मा की समाधि होगी, इसीलिए धोबी अपना दुखड़ा रो रहा है। यह सोचकर उस गांव वाले ने समाधि पर माथा टेका, अपनी मनोकामना पूरी होने के लिए प्रार्थना की और कुछ रुपये चढ़ाकर वहां से चला गया। कुछ दिन बाद उस गांव वाले की कामना पूरी हो गई। खुशी के मारे उसने सारे गांव में मुनादी करा दी कि गांव के बाहर एक पूर्ण संत की समाधि है, वहां हर मनोकामना पूरी होती है। उस दिन से उस समाधि पर भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया। दूर-दराज से भक्त अपनी मनोकामना लेकर आने लगे। धोबी की तो मानो निकल ही पड़ी, बैठे-बैठे उसे कमाई का साधन मिल गया था। धीरे-धीरे वह समाधि पूरी तरह मंदिर का आकार ले चुकी थी। एक दिन वही पुराने पंडित जिन्होंने धोबी को अपना गधा भेंट किया था, वहां से गुजर रहे थे। उन्हें देखते ही धोबी उनके चरणों में गिर पड़ा और बोला, ”आपके गधे ने तो मेरी जिंदगी बना दी, जब तक जीवित रहा मेरे रोजगार में मदद करता था और मरने के बाद मेरी जीविका का साधन उसका मंदिर बन गया है।” यह सुनकर पंडित जी हंसते हुए बोले, ”बच्चा! जहां तू रोजाना माथा टेकने आता था, वह मंदिर इस गधे की मां का था। इस समाज में ऐसे ही चल रहा है सब…।”

Language: Hindi
3 Likes · 402 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
शक्कर की माटी
शक्कर की माटी
विजय कुमार नामदेव
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
खुशी की खुशी
खुशी की खुशी
चक्षिमा भारद्वाज"खुशी"
नेता या अभिनेता
नेता या अभिनेता
Shekhar Chandra Mitra
आज हमने सोचा
आज हमने सोचा
shabina. Naaz
किताबें
किताबें
Dr. Pradeep Kumar Sharma
खोया हुआ वक़्त
खोया हुआ वक़्त
Sidhartha Mishra
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
मातृशक्ति को नमन
मातृशक्ति को नमन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दिल कहता है खुशियाँ बांटो
दिल कहता है खुशियाँ बांटो
Harminder Kaur
ज्ञानी उभरे ज्ञान से,
ज्ञानी उभरे ज्ञान से,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अच्छा ख़ासा तआरुफ़ है, उनका मेरा,
अच्छा ख़ासा तआरुफ़ है, उनका मेरा,
Shreedhar
धर्म ज्योतिष वास्तु अंतराष्ट्रीय सम्मेलन
धर्म ज्योतिष वास्तु अंतराष्ट्रीय सम्मेलन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
2800. *पूर्णिका*
2800. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"You are still here, despite it all. You are still fighting
पूर्वार्थ
हमारा प्रेम
हमारा प्रेम
अंजनीत निज्जर
अपनों को नहीं जब हमदर्दी
अपनों को नहीं जब हमदर्दी
gurudeenverma198
तमाशा जिंदगी का हुआ,
तमाशा जिंदगी का हुआ,
शेखर सिंह
आहटें तेरे एहसास की हवाओं के साथ चली आती हैं,
आहटें तेरे एहसास की हवाओं के साथ चली आती हैं,
Manisha Manjari
मौहब्बत की नदियां बहा कर रहेंगे ।
मौहब्बत की नदियां बहा कर रहेंगे ।
Phool gufran
" ठिठक गए पल "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
*जीवन है मुस्कान (कुंडलिया)*
*जीवन है मुस्कान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
समस्या है यह आएगी_
समस्या है यह आएगी_
Rajesh vyas
पाया तो तुझे, बूंद सा भी नहीं..
पाया तो तुझे, बूंद सा भी नहीं..
Vishal babu (vishu)
"वो पूछता है"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रीत
प्रीत
Mahesh Tiwari 'Ayan'
कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित
कोई आपसे तब तक ईर्ष्या नहीं कर सकता है जब तक वो आपसे परिचित
Rj Anand Prajapati
स्वार्थवश या आपदा में
स्वार्थवश या आपदा में
*Author प्रणय प्रभात*
कितने उल्टे लोग हैं, कितनी उल्टी सोच ।
कितने उल्टे लोग हैं, कितनी उल्टी सोच ।
Arvind trivedi
सीख
सीख
Ashwani Kumar Jaiswal
Loading...