Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Mar 2017 · 4 min read

गधी का दूध

गधों को गदहा कहने पर लोग मुस्करा देते हैं. ऐसे सीधे-साधे प्राणी को लोग सरस्वतीविहीन मानते हैं. यदि किसी विवेकशील मनुष्य पर सरस्वती की कृपा न हो, उसे भी ‘गधा’ अर्थात् ‘गदहा’ कहने की सुविचारित प्रथा है. बुद्धि-विवेक से पैदल प्राणी को ‘गदहा’ कहने पर लोग तनीक भी संकोच नहीं करते हैं. बिना यह सोचे की गधों के दिल पर इसका क्यां प्रभाव पड़ता होगा. उनका भी अस्तित्व है. वे लदे होते हैं. जब विवेकशीलों पर लादा जाता है, तो उसे ‘गधे की तरह लदा’ कहा जाता है. ऐसी लदान हर जगह होती है. जो मनुष्य सीधा होगा वह गदहे की तरह लदा होगा, ऐसी मान्यता है. बावजूद इसके अब गधे, ‘गदहे’ नहीं रहे. अब गदहे इससे आगे निकल गए हैं. विश्व के संचालन की मशीनरी में गदहे एक अनिवार्य अंग हैं. जैसे अंधेरे के बिना उजाले का अस्तित्व नहीं, वैसे गदहों के बिना, विवेकशीलों का अस्तित्व नहीं, एक रिपोर्ट के अनुसार संसार में गधी अर्थात् गर्दभी का दूध सबसे महंगा बिक रहा है. भारतीय मुद्रा में यह दो हजार रूपए प्रति लीटर के ऑंकड़े को भी पार कर गया है. रिपोर्ट में यह भी रेखांकित है कि मिस्र की सुन्दर रानी क्लियोपेट्रा की खूबसूरती का राज भी गधी का दूध था. किवदंती है कि क्लियोपेट्रो सुन्दर दिखने के लिए गधी के दूध से स्नान करती थीं. यह नवजातों के लिए बेहतर है. यह अस्थमा से पीडि़त लोगों के लिए कारगर है. यदि गधी का दूध इतना ही महत्वपूर्ण है तो इसके पीछे छूपे कारण का भी पता लगाना आवश्यक है.
गधी एक निरीह जानवर है. इस प्रजाति ने विकास की तकनीक नहीं जानी है. अन्यथा उसका दूध इतना कारगर नहीं होता. आज छोटे-मोटे कस्बों में भी दूध की भरमार है. श्वेत क्रांति अपने चरम पर है. भाई लोग दूध निर्माण की कला के जानकार हो गए हैं. चारो आेर मलाई ही मलाई है. गुणी लोग श्वेत रंग से भी दूध निर्माण की विशिष्ट तकनीक में पारंगत हो गए है. ऐसे भाई लोगों की तकनीक से भॉति-भॉंति की बीमारियॉं की फसलें भी लहलहा रही हैं. वैद्य, हकीम, गली-मुहल्लेे में सुई लगाने वाले कई तरह के डॉक्टार साहब लोग इन फसलों को अपने-अपने तरीके से काट रहे हैं. बेसक इससे चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में क्रांति आई है. शोध हो रहे हैं.
देश में ऐसे अनेक चौक-चौराहे हैं, जिन्हें लोग गधा चौक के नाम से भी जानते हैं. ऐसे विशिष्ट स्थिलों पर क्षेत्र के सभी गधे एकत्र होकर विवेकशील मनुष्यों की विकासलीला पर रेकतें-हँसते हैं. सुना है सभी गधे संगठित हो रहे हैं. इस संगठन को तोड़ना समय की चुनौती है. यदि वे संगठित हो गए तो वह दिन दूर नहीं, जब गधी को गुणयुक्त दूध मनुष्यों के लिए प्रतिबंधित हो जाय. समय है चेतने की. इतने विश्लेषण, नई जानकारियों के बाद यदि गधा-गधी संवाद का उल्लेख न किया जाय तो बेमानी होगी. कहते हैं भारत पर वही राज करता है जो दिल्ली के लाल किले पर झंडा फहराता है. यह भारत का ऐतिहासिक स्थल है. दिल्ली, दिल्ली है. दिल्लीे सबकी है, सब दिल्लीी के हैं फिर भी दिल्ली किसी की नहीं है. दिल्ली में तमिलनाडु भी है और कश्मीर भी, बिहार और अरूणांचल है तो गुजरात और पंजाब भी. दिल्ली में सम्पूर्ण देश समाया हुआ है. सभी को यह अपनी लगती है. भिन्न-भिन्न देश-प्रदेश के बीच दिल्ली का दिल धड़कता है. हर दौड़ने वाले की अपनी दिल्ली है. जो तनिक भी सुस्ताया, आलस्य किया दिल्ली उसे छोड़ देती है. दिल्ली दौड़ते रहने वालों की है. इसका कोई अपना या पराया नहीं. इसी अपनापन के सपने में अपने कुनबे के साथ गधा-गधी अपने को यहीं एकत्र पाते हैं और बेहद शान्ति से वार्तालाप कर रहे हैं.
गर्दभ राज ‘गधा प्रसाद’ उवाच- ‘यार गधी, कल अपनी बिरादरी से मिलते जुलते कुछ लोग पता नहीं किस लोकतंत्र -भीड़तंत्र पर मगजमारी कर रहे थे. यह क्यां बला है. तुम्हातरे पापा ने तो बड़े गर्व से बताया था कि बेटा गधा, हम पूर्व जन्म में कोई पुण्य किए थे जो लोकतंत्र में सॉंस ले रहे हैं.’
‘मेरे राजकुमार इत्ती सी बात आपके पल्लें नहीं पड़ रही है.अरे, जब जनता के गुणी लोग आपस में मिलकर सरकार बनाते हैं, उसे लोकतंत्र कहते हैं और अपनी बिरादरी के लोग मिल जाते हैं, तो वह भीडतंत्र हो जाती है- गधी, जो अपने गुणी दूध के कारण गधा प्रसाद से अधिक विवेकशील थी, ने अपने सपने के राजकुमार गधा प्रसाद को समझाने के मुद्रा में कहा.
गधा प्रसाद को सपने में सपने आने लगे, जैसे उन्हें विलम्ब में लेट हो रहा हो, चट बोले- चल हमारे भी दिन फिरने वाले हैं. गुणी लोग हमारी चर्चा करने लगे हैं. बस, करवट बदलने की देर है. तुम राजकुमारी होगी और मैं राजा.
वो कैसे, गधी ने पूछा.
गधा प्रसाद, जिसपर संवाद के बाद सरस्वती जी की कृपा बरस गई थी, ने गर्व से बताया- ‘गधी कहीं की. तुम्हें पता नहीं, अब लोकतंत्र भीडतंत्र में बदल रहा है.’
‘चल हट, गधे कहीं के. बकवास मत कर. वह तो कबका बदल चुका है. विरादरी के लोग कब का कब्जा कर चुके हैं. हम जहां हैं, वहीं रहेंगे. मेरी दूघ का कुछ कर. नहीं तो हाडतोड मेहनत के बाद भी भूखे मरोगे. हम भूख के लोकतंत्र में जी रहे हैं. दिमाग तो है नहीं, दिल में बिठा लो. काम करो, काम करो. बक-बक मत करो. गधी ने यह कहते हुए गधा प्रसाद को दुलत्ती मारी और गधा प्रसाद का सपना टूट गया. अब तक गधा प्रसाद के पीठ पर घुलाई वाले कपडों के चार भारी-भरकम गठ़ठर लद चुके थे.

Language: Hindi
Tag: लेख
3 Likes · 1 Comment · 813 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
View all
You may also like:
23/34.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/34.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ना अश्रु कोई गिर पाता है
ना अश्रु कोई गिर पाता है
Shweta Soni
खुद की तलाश
खुद की तलाश
Madhavi Srivastava
*रक्तदान*
*रक्तदान*
Dushyant Kumar
जीवन
जीवन
Bodhisatva kastooriya
"बेहतर"
Dr. Kishan tandon kranti
New light emerges from the depths of experiences, - Desert Fellow Rakesh Yadav
New light emerges from the depths of experiences, - Desert Fellow Rakesh Yadav
Desert fellow Rakesh
तू है जगतजननी माँ दुर्गा
तू है जगतजननी माँ दुर्गा
gurudeenverma198
* सुन्दर झुरमुट बांस के *
* सुन्दर झुरमुट बांस के *
surenderpal vaidya
खिल उठेगा जब बसंत गीत गाने आयेंगे
खिल उठेगा जब बसंत गीत गाने आयेंगे
Er. Sanjay Shrivastava
दूषित न कर वसुंधरा को
दूषित न कर वसुंधरा को
goutam shaw
हमनें ख़ामोश
हमनें ख़ामोश
Dr fauzia Naseem shad
*परियों से  भी प्यारी बेटी*
*परियों से भी प्यारी बेटी*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
रमेशराज की बच्चा विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की बच्चा विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
पिटूनिया
पिटूनिया
अनिल मिश्र
चाँदनी .....
चाँदनी .....
sushil sarna
जिंदगी का चमत्कार,जिंदगी भर किया इंतजार,
जिंदगी का चमत्कार,जिंदगी भर किया इंतजार,
पूर्वार्थ
*कागभुशुंडी जी नमन, काग-रूप विद्वान (कुछ दोहे)*
*कागभुशुंडी जी नमन, काग-रूप विद्वान (कुछ दोहे)*
Ravi Prakash
Never trust people who tells others secret
Never trust people who tells others secret
Md Ziaulla
सज्जन से नादान भी, मिलकर बने महान।
सज्जन से नादान भी, मिलकर बने महान।
आर.एस. 'प्रीतम'
आसमां में चांद अकेला है सितारों के बीच
आसमां में चांद अकेला है सितारों के बीच
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
शरीर मोच खाती है कभी आपकी सोच नहीं यदि सोच भी मोच खा गई तो आ
शरीर मोच खाती है कभी आपकी सोच नहीं यदि सोच भी मोच खा गई तो आ
Rj Anand Prajapati
॰॰॰॰॰॰यू॰पी की सैर॰॰॰॰॰॰
॰॰॰॰॰॰यू॰पी की सैर॰॰॰॰॰॰
Dr. Vaishali Verma
निदामत का एक आँसू ......
निदामत का एक आँसू ......
shabina. Naaz
नारी जागरूकता
नारी जागरूकता
Kanchan Khanna
अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
Pratibha Pandey
👌काहे का डर...?👌
👌काहे का डर...?👌
*Author प्रणय प्रभात*
ना मुमकिन
ना मुमकिन
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कुछ ख़ुमारी बादलों को भी रही,
कुछ ख़ुमारी बादलों को भी रही,
manjula chauhan
मोहब्बत का ज़माना आ गया है
मोहब्बत का ज़माना आ गया है
Surinder blackpen
Loading...