Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Aug 2020 · 1 min read

गणेश चतुर्थी

Happy Ganesh Chaturthi..
एक बार माता पार्वती ने सोच समझ कर किया विचार,
अपने शरीर के निकले मैल से पुतले का दिया आकार,
प्राण डाले उस पुतले में ,और नाम दिया उसको गणेशा,
आदेश दिया पुत्र गणेश को,बन जाएं उनका पहरेदार,
अंदर कोई न आने पाये,जब तक स्नान न हो जाए पूर्ण,
कुछ पल ही व्यतीत हुआ तभी शिवजी वहाँ दिए पधार,
द्वार पर रोक लिया गणेश ने,न जाने दिया भीतर उनको,
समझाया शिवजी ने बहुत पर गणेशा ने कर दिया इंकार,
इस पर क्रोधित हो शिवजी ने,सिर काट दिया गणेश का,
शिवजी को भीतर देख, पार्वती को हुआअचम्भा अपार,
पार्वती के पूछने पर शिवजी ने सुनाया उनको सारा हाल,
एक उदण्ड बालक बाहर जबरन रोक रहा था हमारा द्वार,
समझाने पर न माना जब सिर धड़ सेअलग किया उसका,
दुखी पार्वती बोली शिवजी से,कैसे हो गया यह अनाचार,
देख पार्वती को इतना दुखी, शिवजी हुए बहुत ही दुखी,
हाथी के बच्चे का सिर जोड़ बालक में किया जीवनसंचार
इस तरह भाद्र पक्ष शुक्ल चतुर्थी को जन्म हुआ गणेश का
और गणेश चतुर्तिथि के नाम से प्रसिद्ध हुआ ये त्यौहार।।
By:Dr Swati Gupta

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 509 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आराधना
आराधना
Kanchan Khanna
तुम कभी यह चिंता मत करना कि हमारा साथ यहाँ कौन देगा कौन नहीं
तुम कभी यह चिंता मत करना कि हमारा साथ यहाँ कौन देगा कौन नहीं
Dr. Man Mohan Krishna
💐प्रेम कौतुक-162💐
💐प्रेम कौतुक-162💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
वेलेंटाइन डे शारीरिक संबंध बनाने की एक पूर्व नियोजित तिथि है
वेलेंटाइन डे शारीरिक संबंध बनाने की एक पूर्व नियोजित तिथि है
Rj Anand Prajapati
*देना इतना आसान नहीं है*
*देना इतना आसान नहीं है*
Seema Verma
पोषित करते अर्थ से,
पोषित करते अर्थ से,
sushil sarna
आस्था होने लगी अंधी है
आस्था होने लगी अंधी है
पूर्वार्थ
कब तक यही कहे
कब तक यही कहे
मानक लाल मनु
कभी कभी ये पलकें भी
कभी कभी ये पलकें भी
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
"नुक़्ता-चीनी" करना
*Author प्रणय प्रभात*
एक बेरोजगार शायर
एक बेरोजगार शायर
Shekhar Chandra Mitra
बोलो_क्या_तुम_बोल_रहे_हो?
बोलो_क्या_तुम_बोल_रहे_हो?
संजीव शुक्ल 'सचिन'
आश पराई छोड़ दो,
आश पराई छोड़ दो,
Satish Srijan
*देह का दबाव*
*देह का दबाव*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
इस नयी फसल में, कैसी कोपलें ये आयीं है।
इस नयी फसल में, कैसी कोपलें ये आयीं है।
Manisha Manjari
दो💔 लफ्जों की💞 स्टोरी
दो💔 लफ्जों की💞 स्टोरी
Ms.Ankit Halke jha
ना जाने क्यों...?
ना जाने क्यों...?
भवेश
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
गुब्बारे की तरह नहीं, फूल की तरह फूलना।
गुब्बारे की तरह नहीं, फूल की तरह फूलना।
निशांत 'शीलराज'
माटी कहे पुकार
माटी कहे पुकार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कौआ और कोयल (दोस्ती)
कौआ और कोयल (दोस्ती)
VINOD CHAUHAN
*शहर की जिंदगी*
*शहर की जिंदगी*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
🌷 *परम आदरणीय शलपनाथ यादव
🌷 *परम आदरणीय शलपनाथ यादव "प्रेम " जी के अवतरण दिवस पर विशेष
Dr.Khedu Bharti
"अन्तरात्मा की पथिक "मैं"
शोभा कुमारी
मिलते तो बहुत है हमे भी चाहने वाले
मिलते तो बहुत है हमे भी चाहने वाले
Kumar lalit
ओ पथिक तू कहां चला ?
ओ पथिक तू कहां चला ?
Taj Mohammad
"अपदस्थ"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रेम की अनुपम धारा में कोई कृष्ण बना कोई राधा
प्रेम की अनुपम धारा में कोई कृष्ण बना कोई राधा
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
*पढ़ने का साधन बना , मोबाइल का दौर (कुंडलिया)*
*पढ़ने का साधन बना , मोबाइल का दौर (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
हम ख़्वाब की तरह
हम ख़्वाब की तरह
Dr fauzia Naseem shad
Loading...