गज़ल
आपका वो मिलना तो याद है
दिलका वो खिलना तो याद है।
जिस तरहा बिछड़े थे मोड़ पर
और तुम्हें ही गवाँना याद है।
देखते है सब नज़ारे राह पर
आपका ही गुज़रना तो याद है।
हँसकर हम टाल देते है सदा,
दिलमें गम पालना तो याद है।
आँख से जो नीकले आंसु कभी,
बेवजह ही चाहना तो याद है।
-मनीषा “जोबन “