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9 Jan 2018 · 1 min read

गजल

बाद मरने के मिलेंगे पल नहीं।
साथ बैठे पर कोई हलचल नहीं।।

ख्वाब तो देखे बहुत कल रात को,
पर हुआ अब तक तो कुछ हासिल नहीं।।

हम तुम्हारे है यही कहते रहे,
आज मैय्यत में वही शामिल नहीं।।

रोज सजते थे हमारे नाम से,
आस उनके ही तो अब काबिल नहीं।।

रचनाकार :- कौशल कुमार पाण्डेय “आस”

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