Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 May 2017 · 1 min read

गजल

मुझे कुछ दूर एक मंजर नजर आता है
मुझे खुद का घर जलता नजर आता है

मैं दिनभर जरे जरे में खोजता फिरता हूँ उन्हें
बस वो हसीं चाँद मुझे ख्याबो में नजर आता है

बहुत खोजो तब दुनिया मे कोई हमदर्द नजर आया
उसके बिना तो मुझे सिर्फ दुनिया मे पतझड़ नजर आता है

मुसलसल मुफ़लिसी में कटी है मैने सारी जिंदगी
मुझे दुनिया से कही ज्यादा रोटी का टुकड़ा अच्छा नजर आता है

जमाने मे अच्छे दिनों को देखते देखते थक गया हूँ
अब मुझे घर मे खत्म होता हुआ राशन पानी नजर आता है

आज फिर इस कुदरत ने तूफान बन सताया है मुझे
क्योंकि मुझे घर का गिरा हुआ छप्पर नजर आता है

बेटियों को तो ख़ुदा की नेमत कहा जाता है जमाने में
भगर मुझे तो दहेज से उनका भविष्य काला नजर आता है

इससे तो पुराने युग के निरक्षर लोग ही बहुत अच्छे थे
आज हर पढ़े लिखे के हाथ मे मुझे खूनी खंजर नजर आता है

अब तो टूटकर ‘ऋषभ’ इस कदर बिखर गया है
कि कब्र में उसे कोई ख़ुशनुमा मंजर नजर आता है

रचनाकार-ऋषभ तोमर
अम्बाह

1 Like · 289 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अरे लोग गलत कहते हैं कि मोबाइल हमारे हाथ में है
अरे लोग गलत कहते हैं कि मोबाइल हमारे हाथ में है
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
मैं हूं आदिवासी
मैं हूं आदिवासी
नेताम आर सी
*क्या देखते हो*
*क्या देखते हो*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
एक पल सुकुन की गहराई
एक पल सुकुन की गहराई
Pratibha Pandey
ये दिन है भारत को विश्वगुरु होने का,
ये दिन है भारत को विश्वगुरु होने का,
शिव प्रताप लोधी
#कविता-
#कविता-
*Author प्रणय प्रभात*
प्रार्थना
प्रार्थना
Dr Archana Gupta
कुछ तो बाकी है !
कुछ तो बाकी है !
Akash Yadav
कितना सुकून और कितनी राहत, देता माँ का आँचल।
कितना सुकून और कितनी राहत, देता माँ का आँचल।
डॉ.सीमा अग्रवाल
सुनील गावस्कर
सुनील गावस्कर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हरा नहीं रहता
हरा नहीं रहता
Dr fauzia Naseem shad
*ग़ज़ल*
*ग़ज़ल*
आर.एस. 'प्रीतम'
" ऐसा रंग भरो पिचकारी में "
Chunnu Lal Gupta
वक्त
वक्त
Shyam Sundar Subramanian
मंजिलों की तलाश में, रास्ते तक खो जाते हैं,
मंजिलों की तलाश में, रास्ते तक खो जाते हैं,
Manisha Manjari
आनंद
आनंद
RAKESH RAKESH
“ प्रेमक बोल सँ लोक केँ जीत सकैत छी ”
“ प्रेमक बोल सँ लोक केँ जीत सकैत छी ”
DrLakshman Jha Parimal
मतदान
मतदान
Sanjay ' शून्य'
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
घे वेध भविष्याचा ,
घे वेध भविष्याचा ,
Mr.Aksharjeet
आखिर क्यूं?
आखिर क्यूं?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
संभावना
संभावना
Ajay Mishra
*गम को यूं हलक में  पिया कर*
*गम को यूं हलक में पिया कर*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*योग-ज्ञान भारत की पूॅंजी, दुनिया को सौगात है(गीत)*
*योग-ज्ञान भारत की पूॅंजी, दुनिया को सौगात है(गीत)*
Ravi Prakash
2843.*पूर्णिका*
2843.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
|| हवा चाल टेढ़ी चल रही है ||
|| हवा चाल टेढ़ी चल रही है ||
Dr Pranav Gautam
जीभ/जिह्वा
जीभ/जिह्वा
लक्ष्मी सिंह
25 , *दशहरा*
25 , *दशहरा*
Dr Shweta sood
प्रेरणा
प्रेरणा
पूर्वार्थ
💐💐💐दोहा निवेदन💐💐💐
💐💐💐दोहा निवेदन💐💐💐
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
Loading...