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11 Aug 2017 · 1 min read

कविता: ??शान तिरंगे की??

दिल में बसा ली है हमने,अरे शान तिरंगे की।
तन मन तिरंगे का है ये,है ये जान तिरंगे की।।

चमन है ये वतन हमारा,हम माली बने इसके।
खिलता महकता रहे सदा,झूमे आन तिरंगे की।

किसकी मज़ाल देखे इसे,आँखें उठा ग़ैरत से।
मिट्टी में मिला दें उसको,हम ज़ुबान तिरंगे की।।

जिसने झुकाना चाहा है,चारों खाने चित हुआ।
जग कोने-कोने फहरती,ये उड़ान तिरंगे की।।

ओज हरियाली शांति का,संदेश देता सबको।
संत-सी शोभा है जग में,इस महान तिरंगे की।।

हरपल जीवन का क़ुर्बान,करके मिली आज़ादी।
खोने न देंगे इसको हम,ये ज़हान तिरंगे की।।

एकदिन शहीदों का नहीं,हरदिन होना चाहिए।
भरलो बनाके शरग़म ये,छेड़ तान तिरंगे की।।

जाति धर्म क्षेत्र भूलो अब,मानवता दिल में भरो।
आपसी प्यार से फलेगी,सुनो बान तिरंगे की।।

रिश्ते-नाते भेंट चढाके,आज़ादी मिली हमको।
जान पर खेल बचाई है,ये मुस्क़ान तिरंगे की।।

“प्रीतम”प्रीत सदा वतन से,रखना दिल में बसाकर।
देश सेवा सबसे बढ़कर,यही ग़ुमान तिरंगे की।।
……….राधेयश्याम बंगालिया”प्रीतम”

Language: Hindi
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