—बेटियाँ चंदा सरीखी हैं—
बेटियाँ चंदा सरीखी हैं,प्यार दीजिए।
शीतलता ही सीखी हैं,प्यार दीजिए।।
माँ का प्रतिरूप कुल संजीवनी शक्ति।
पूरक ये प्रभु लिखी हैं,प्यार दीजिए।।
हर साँस मे माँ-बाप का नाम इनके।
हरक्षेत्र अव्वल दिखी हैं,प्यार दीजिए।।
ससुराल में रह मायका भी प्यारा लगे।
दो घरों की तारीख़ी हैं,प्यार दीजिए।।
बेटी,बहन,माँ,दादी,नानी,बुआ,भाभी।
सर्वरूप संपन्न सलीखी हैं,प्यार दीजिए।।
शांत,करुण,वीर,शृंगार रस धारिणी ये।
वक्त लय की तहज़ीबी हैं,प्यार दीजिए।।
बेटा-बेटी दोनों एक सिक्के के पहलू।
संसारी जीवन बारीकी हैं,प्यार दीजिए।।
विधि-विधान समन्वय उपहार गज़ब है।
गीत-संगीत एकतालिखी हैं,प्यार दीजिए।
घर-आँगन की शोभा खुशी का सार।
भाई-कलाई की राखी हैं,प्यार दीजिए।।
“प्रीतम”बेटा-बेटी का अंतर भुला दिलसे।
बेटी समदृष्टि की सखी हैं.प्यार दीजिए।।
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राधेयश्याम बंगालिया”प्रीतम”
प्रवक्ता हिन्दी
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय
किरावड(भिवानी)
हरियाणा।