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4 Jan 2017 · 1 min read

?? बुलबुल छेड़ तराना कोई??

बुलबुल छेड़ तराना कोई।
मैं भी लिखूँ अफ़साना कोई।।

इतना सुहाना मौसम आया।
कैसे न हो जाए दीवाना कोई।।

फूलों ने खिल हँसना सिखाया।
है बहारों जैसे नज़राना कोई।।

रोशन हो गए दीप दीवारों पर।
शम्मा में जला परवाना कोई।।

कूकी हैं कोयलें क़दम पर बैठ।
आया जैसे सावन सुहाना कोई।।

कदम -आहट सुन चौंकी गौरी।
दरवाज़े पर आया दीवाना कोई।।

“प्रीतम”आज मैं हूँ खुश बहुत।
भूलकर दर्दे-दिल पुराना कोई।।

राधेश्याम बंगालिया “प्रीतम” कृत
*********************

Language: Hindi
289 Views
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