??नज़र से नज़र मिली??
नज़र से नज़र मिली प्यार हो गया है।
इश्क़ में दिल गंगा की धार हो गया है।।
सजने लगे सपने दिल में रे मिलन के ।
फूल को ज्यों दीदारे-ए-बहार हो गया है।।
चाँद ने रख ली रात की लाज ऐसे।
चाँदनी का दर्रे-दर्रे में खुमार हो गया है।।
लहरों ने मचल किनारे भिगो दिए हैं।
मिलना मानो उनका शृंगार गया है।।
दीप जले दीवारे-दिल की दहलीज़ पर।
रोशनी को जैसे इश्क़े-बुख़ार हो गया है।।
हीरे की चमक तर-बतर कर गई हाय!
दिल किसी पर जैसे निस्सार हो गया है।।
मौसम ने दिल को दीवाना बना दिया है।
तेरा चेहरा देखना इख़्तियार हो गया है।।
इश्क़ में जान की परवाह नहीं अब तो।
तेरा ख़्वाब ही परवर-दिगार हो गया है।।
तेरे साथ जीना मरना तय कर लिया है।
तेरा मेरा दिल अब फूल-डार हो गया है।।
“प्रीतम”तेरी गलियाँ जीवन की धूप-छाँव।
मिलन अख़बारे-दिल में समाचार हो गया है।।
राधेश्याम “प्रीतम” कृत गजल
सर्वाधिकार सुरक्षित सृजना है
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