??◆ दो बातें सुनके जाना◆??
दो बातें सुनके जाना,अपने शबाब की।
दोहराने लगी नीयत,रज़ा तव्वाब की।।
किसी महकते गुलशन से,आप आ गए हो।
दिल देता है सनम तुझे ये,संज्ञा गुलाब की।।
दो घड़ी ठहरो ज़रा तुम,दिले-क़ाशाने में।
बहल जाएगी तबीयत,तेरे ज़नाब की।।
नशा ही नशा है तेरे,निखरे शबाब में।
बोतल-सी लगती हो तुम,कोई शराब की।।
तेरे बिना एक पल भी,चैन अब न आए।
आँखों में सजती हरपल,सूरते-ख़्वाब की।।
मस्वरा देते हैं”प्रीतम”मान जाओ अगर।
दावत देते आँखों हैं,सनम के ख़्वाब की।।
???..राधेयश्याम बंगालिया प्रीतम