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18 Apr 2017 · 1 min read

??◆ दिल कहता है◆??

मेरे ख़्वाबों,ख़्यालों में तेरी यादों का सजना है।
ये प्यार नहीं तो क्या है?लोगों का कहना है।।

करवट बदल-बदलकर तन्हाई में रातें गुज़रती है।
तकिए को लगाकर सीने से अब आहें भरना है।।

तुमसे कहे कोई कुछ मुझसे सहन नहीं होता ये।
एक आग-सी लगती है दिल में और बहकना है।।

पंख न हों तो बोलो!एक परिंदा कैसे उड़ पाएगा।
होकर परेशान खुद से फिर तो रोना चिल्लाना है।।

कैसे कहूँ वो बातें दिल में उठती हैं जो लहर-सी।
सब्र नहीं होता मुझसे मगर एक राज छिपाना है।।

नाराज़ न हो जाए कहीं तू ये डर भी सताता है।
दिल टूट गया बयांकर तो जीवनभर पछताना है।।

फूल की ख़ुशबू कभी छुपाए नहीं छिपती जानता हूँ।
छिपाने की साज़िश में तो झूठ का दाग़ लगना है।।

भला करे सबका मालिक नेक रस्ते पर लेता चले।
देकर बददुवाएं जो जलाना और खुद भी जलना है।।

दिल कहता है”प्रीतम”किस बात से डरता है तू।
छिपाकर हाले-दिल अपना कौनसा शक़ून पाना है।।

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राधेयश्याम….बंगालिया….प्रीतम….कृत
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Language: Hindi
242 Views
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