कविता : ??तुझे याद करते हैं बहुत??
तुझे याद करते हैं बहुत,तुमपे मरते हैं बहुत।
कैसे दिखाएं दिल चीर,कि तड़फ़ते हैं बहुत।।
तूने लिख दिया मुझे,मिलने आ जाऊँ तुमसे।
कब,कैसे,कहाँ मिलें,हम ये सोचते हैं बहुत।।
चारों तरफ लगी निग़ाहें,प्यार के दुश्मनों की।
नज़रें बचाते लाख हम,और छिपाते हैं बहुत।।
मैं अकेला ही होता हूँ,दोपहर के बाद सनम।
तुम कभी चली आना,रस्ता देखते हैं बहुत।।
सहेलियों के बहाने से,मिलने हमसे आओ तुम।
मैं जानता हूँ डरते हो तुम लज्जाते हो बहुत।।
खत का ज़वाब मैंने,दिले-हाल लिख दिया है।
समझो उससे बढ़कर,तुझे हम चाहते हैं बहुत।।
शक है ज़माने को तो,यकीं में बदलें”प्रीतम”।
सिरफ़िरों से न डरना,तुमसे ये कहते हैं बहुत।।
राधेयश्याम बंगालिया”प्रीतम”……???
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