??◆ चाहे दुश्मन हो जाए सारा आलम◆??
नाज़ो-नखरे भी सहके तेरे हमदम।
हम फिर भी तेरे साथ हैं हरक़दम।।
गुस्से में वाज़िब है तेरा क़हर ढ़ाना।
पर सूर्य भी शाम को होता है नरम।।
तेरे दर आया हूँ न जाऊँगा खाली।
जिद्द के आगे टूटते देखें मैंने भ्रम।।
तेरे कूचे की आबो-हवा भी देखी।
उठते ही नहीं यहाँ पड़े जो क़दम।।
निग़ाह कर प्यार की मेरी ओर भी।
बुरे तो नहीं किए कभी हमने कर्म।।
चालो-चलन के हैं अच्छे सब कहते।
देख लो आज़माकर तुम भी सनम।।
राहे-वफ़ा में दगा न देंगे हम कभी।
खाते हैं सरे-महफ़िल ये तेरी क़सम।।
समुद्र न तालाब बनकर देखो कभी।
शेर भी सिर झुका जल पिये हरदम।।
हौंसले ही मंज़िल-मिलन तय करते।
भ्रम तो देते जाते हैं भ्रम पर भ्रम।।
पकड हाथ छोड़ा नहीं करते “प्रीतम”!
चाहे दुश्मन हो जाए ये सारा आलम।।
राधेयश्याम बंगालिया..
……प्रीतम………कृत….
कठिन शब्दों के अर्थ…
आलम-संसार,दगा-धोखा,कूचा-गली