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26 Jul 2020 · 1 min read

गजल- खुदा की अगर हमपे रहमत न होती।।

हमें जिंदगी की युं चाहत न होती,
ख़ुदा की अगर हमपे रहमत न होती,

मिले जख्म अपनों से हमकों बहुत हैं,
हमें जख्म सीने की हिम्मत न होती,
(ख़ुदा की अगर हमपे रहमत न होती।)

भरोसा है टूटा मेरे दिल का हरदम,
युं एतवार करने की आदत न होती,
(ख़ुदा की अगर हमपे रहमत न होती।)

रही हूँ छिपाकर मैं आँखों में आँसू,
युं ही आँसू पीने की सम्मत न होती,
(ख़ुदा की अगर हमपे रहमत न होती।)

मेरी मुस्कुराहट लुभाये सभी को,
मुझे मुस्कुराने की फितरत न होती,
(ख़ुदा की अगर हमपे रहमत न होती।)
By:Dr Swati Gupta

3 Likes · 4 Comments · 224 Views
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