??◆कितनी लम्बी दूरी है वफ़ा की◆??
मेरा चाँद राहों में खो गया रूठा तो नहीं है।
दुनिया हसीं,महफ़िल हसीं दिल तो नहीं है।।
ख़ुशी मिले या ग़म दोस्त वही जो साथ चले।
ज़रा-सी बात पर बदलना दोस्ती तो नहीं है।।
फूलों संग बहारें हैं,मौसम संग हसीं नज़ारे हैं।
मैं ही हूँ एक तन्हा दिल बेवफ़ा तो नहीं है।।
वो मेरी बातों पर हँसना,मुस्क़राना याद है तेरा।
दिल तड़फे़ आज दीद को दीदार तो नहीं है।।
रस्में-क़समें वफ़ा की गुड़ियों का खेल हो गई।।
मेरी तरह मुक़द्दर किसी का बिगड़ा तो नहीं है।।
प्यार सागर है एक तरफ़ वो हैं एक तरफ़ मैं।
इस तरह साहिल से साहिल मिलता तो नहीं है।।
ये वक्त का तक़ाज़ा है या मेरी वफ़ा का क़सूर।
ये छोटी-सी बात मेरा दिल समझा तो नहीं है।।
रुसवा ही करना था मुझे तो और भी थे तरीके।
इल्जाम बेवफ़ा का देना कोई सलीखा तो नहीं है।।
दिल तो लुट ही गया है और क्या हासिल रहा।
जान भी माँग ले मेरी वो मुझे गिला तो नहीं है।।
“प्रीतम”तुझे पाने के लिए सब रस्मो-रिवाज़ तोड़े।
कितनी लम्बी दूरी है वफ़ा की अंदाज़ा तो नहीं है।।
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राधेयश्याम….बंगालिया….प्रीतम….कृत