??◆कमसिन उम्र है◆??
कमसिन उम्र है इतना मुस्क़राया न करो।
जुल्फ़ें छत पर जाकर सुलझाया न करो।।
पड़ोसियों की नज़रें अच्छी नहीं समझो।
इतना विश्वास किसी पर जताया न करो।।
हम तो हितैषी हैं ज़रा विश्वास तुम करो।
शक की नज़र हमें तुम लखाया न करो।।
होठों की बिजलियां कड़कती हैं जब भी।
दुपट्टे की ओट में तुम छिप जाया न करो।।
इश्क़ की आग जलाके ज़िगर रख देती है।
मेरी सलाह को कभी तुम ठुकराया न करो।।
जवानी का उफान दूध-सा होता है सुनिए।
शब्र का जल तुम इससे बचाया न करो।।
“प्रीतम”दिल की लगी दिल्लगी होती है यार।
इसे प्यार की गिरफ़त में तुम लाया न करो।।
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???***आर.एस.बी.प्रीतम???