??◆ आइना◆??
मेरी रात बीती है हादसे की तरह से।
टूटा बिखरा हूँ मैं आइने की तरह से।।
क़ातिल बच गया सबूत बटोरकर यार।
सच गाता रहा कोई नग़में की तरह से।।
तेरी तस्वीर मैंनै बसाए रखी आँखों में
बाकी बह गया सब अश्क़ों की तरह से।।
मैंने पुकारा पर तूने सुना ही नहीं कुछ।
मैं बकता रहा सब पगले की तरह से।।
ज़िन्दगी ग़मगीन ऐसी हुई मेरी, सुनले।
बिछड़ा काफ़िले से कोई जिस तरह से।।
पत्थर मैं नहीं भगवान हो गया है यार।
देखता रहा जो ज़ुल्म बावरे की तरह से।।
पसीने की जगह ख़ून बहा देता मैं सुन।
पुकारता कोई मुझे अपने की तरह से।।
हमने चाहा जिसे वो एक बेवफ़ा निकला।
बदल गया मौके पर गिरगिट की तरह से।।
खुदा माफ़ न करे गलती मेरी या उसकी।
भूल जाऊँगा सब मैं सदमें की तरह से।।
राहों में फूल-काँटे दोनों ही मिल जाते हैं।
डरें क्यों हम किसी कायर की तरह से।।
“प्रीतम”प्यार एक रब का सच्चा है सुनले।
और सब झूठे हैं किसी सपने की तरह से।।
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राधेयश्याम..बंगालिया..प्रीतम..