–मोहब्बत की बात–
दिल की बात सबको बताया न करो।
कुछ राज सुनलो तुम छिपाया भी करो।।
ज़माना बुरा है बहुत बातों को हवा दे।
हर किसी से मिलके मुस्क़राया न करो।।
तुम दिल के हो भोले हम ये जानते हैं।
हर किसी पर विश्वास जताया न करो।।
हमें हमदर्द समझकर दर्दे-दिल कह दो।
हमें देखकर इस तरह शर्माया न करो।।
निगाहों से पढ़लें हम तस्व्वुरे-दिल तेरा।
हमारे सामने चत्तुराई दिखाया न करो।।
प्यार में त्याग होता विश्वास भी होता है।
कोई बात कहने में हिचकिचाया न करो।।
“प्रीतम”दीवारे-दिल पर तेरी तस्वीर लगी है।
कभी अपने आपको तन्हा पाया न करो।।
राधेयश्याम बंगालिया”प्रीतम”
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