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25 Jul 2016 · 1 min read

गगन में टूटता तारा दिखा है

गगन में टूटता तारा दिखा है
किसी की आस का दीपक जला है

महक कर नाचता ये डालियों पर
हवा ने फूल से क्या कह दिया है

लगा है नाचने अब मोर मन का
घिरी फिर सावनी देखो घटा है

बदलता वक़्त रहता चाल अपनी
तभी तो ज़िन्दगी कहते जुआ है

चला जाता अमावस सौंप इसको
हमेशा चाँद ही कब रात का है

गया है टूट इतना ‘अर्चना’ दिल
कि लेना साँस भी लगती सजा है

डॉ अर्चना गुप्ता

2 Comments · 454 Views
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