खड़ा हूँ राह में इक प्यार की नज़र के लिए
खड़ा हूँ राह में इक प्यार की नज़र के लिए
लगाने दिल पे तेरे प्यार की मुहर के लिए
अगर कहे तू मिलेगा मुझे जनाजे में
निकल पड़ूँगा तभी आखिरी सफर के लिए
तुझे भुलाने को खत तो सभी जला डाले
सहारा राख का अब भी रहा बसर के लिए
मज़ाक बेबसी का यूँ उड़ाया है मेरा
वो लौट आया मगर देखने असर के लिए
हुआ है’अर्चना’ जो अस्त प्यार का सूरज
न इंतज़ार मुझे अब किसी सहर के लिए
डॉ अर्चना गुप्ता