ख्वाब हमने तेरे सजाए हैं
ख्वाब़ हमने तेरे सजाए हैं।
दिल में उम्मीद हम बसाए हैं।।
प्यार तेरा न जीत पाये हम।
हार के दिल तुझे जिताए हैं।।
साथ गुज़रे हैं जो सुहाने पल।
याद बन साँस में समाए हैं।।
ये नही है कसूर काॅंटों का।
हम ही फूलों से ज़ख्म खाए हैं।।
तुझको खुशियां अपार मिल पायें।
‘कल्प’ ने गम़ गले लगाए हैं।।
✍अरविंद राजपूत ‘कल्प’