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18 Mar 2017 · 1 min read

“ख्वाब “(प्रतीकात्मक मुक्तक)

“ख्वाब”
(प्रतीकात्मक मुक्तक)

रात रूपी बगीची में
ख्वाब रूपी फूल खिले
नींद रूपी जल को पाकर
फूल खूब फले फूले
सुबह रूपी ताप पाकर
नींद रूपी जल सुख गया
नींद रूपी जल सुख गया तब
ख्वाब रूपी फूल टूट गया।

रामप्रसाद लिल्हारे
“मीना “

Language: Hindi
485 Views
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