ख्वाजा तेरे दरबार में , आये हैं हम सजदा करें
ख्वाजा तेरे दरबार में , आये हैं हम सजदा करें
तेरे करम तेरी इनायत की,आरज़ू लिए
तेरा दर ठिकाना हो मेरे, तेरा दर इबादतखाना हो मेरा
पाक साफ़ हों अरमां मेरे, जियूं या मरूं दर पे तेरे
झोली है खाली मेरी, पूरी कर आरज़ू मेरी
जख्म दिए जमाने ने मुझे, सारे जख्म भर खुदाया मेरे
जिन्दगी मेरी दोराहे पे खड़ी , राह दिखा हम सजदा करें
तेरा दरबार जन्नत है, राह दिखा तू हमें
चराग हो जाऊं तेरे दर का ऐ मेरे मालिक
रोशन जहां को करूं, तेरे दिल का नूर बनूँ
ऐ मेरे गरीब नवाज़, ख्वाहिशें पूरी कर मेरी
मुझे अपनी राह पर ले, अपनी पनाह में ले
तेरी इबादत हो जाए धर्म मेरा, मेरी इबादत को क़ुबूल कर
हो सके तो मुझे ,अपने दर का चराग कर
ख्वाजा तेरे दरबार में , आये हैं हम सजदा करें
तेरे करम तेरी इनायत की,आरज़ू लिए