Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Oct 2020 · 3 min read

खूनी जंगल

खूनी जंगल
बस स्टेशन से बस अभी अपने समय से छूट चुकी थी। बस में पर्याप्त भीड़ थी ।क्योंकि बस को घने जंगलों के बीच से गुजरना पड़ता था,इसलिए आखिरी बसें नियत समय पर ही प्रस्थान करती थीं ।चलते चलते बस अभी जंगल में कुछ किमी. ही अंदर पहुँची ही थी कि अचानक बस के इंजन में खराबी आ गई। क्योंकि यह आखिरी बस थी और अंधेरा होने से पूर्व ही जंगलसे निकल जाना होता था। इसलिए जंगल से होकर गुजरने वाले लोग जल्दी ही निकल जाते थे ।क्योंकि ऐसी अफवाह थी कि जंगल में भूतों का डेरा है और रात में गुजरने वाला कोई भी इंसान आज तक जीवित नहीं बचता है। हालांकि इस बात से कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिले थे फिर भी जंगल में यहां वहां आए दिन हड्डियों के कुछ टुकड़े जरूर दिखाई पड़ जाते थे।
बस के ड्राइवर कंडक्टर ने काफी प्रयास किया ।फिर भी बस की खराबी दूर ना हो सकी।ऐसे में अब बस के यात्रियों को मजबूरी में पूरी रात जंगल में ही गुजारनी थी ।लोगों में भय व्याप्त हो चुका था लेकिन मजबूरी थी,क्योंकि अब इस समय कहीं से भी कोई मदद नहीं मिल सकती थी। सबके अपने-अपने तर्क थे। फिर भी कोई आगे बढ़ने को तैयार ना था ।।बस के यात्रियों में एक अजीब सा खौफ पैदा हो रहा था । सुनसान जंगल,जहां रात का बढ़ता अंधेरा लोगों को और डरा रहा था ,बस के कंडक्टर ने लोगों से कहा कि सभी लोग बस के अंदर ही रहें। कुछ लोग नीचे बस के आसपास टहल रहे थे और कभी कभी अजीब सी आवाजें सुनकर डर रहे थे । कंडक्टर ने लोगों को शक्ति से समझा दिया था कोई भी रात के अंधेरे में इधर उधर ना जाए अन्यथा किसी भी दुर्घटना का शिकार हो गए तो हम सब की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।रात बढ़ती जा रही थी डर के मारे सारे यात्री बस में आकर बैठ गए।अजीब अजीब सी आवाजें लोगों के मन में दहशत भर रही थीं। दहशत से किसी की आंखों में नींद का नामोनिशान भी ना था तभी बस में बैठे एक एक बुजुर्ग ने मशवरा दिया कि आस पास की झाड़ियों को इकट्ठा करके उसमें आग लगाई जाए ,आग के भय से कोई भी जंगली जानवर या भूत प्रेत आस पास नहीं आएगा और किसी तरीके से रात बीत जाएगी। लोगों को मशवरा पसंद आया ,12-15 लोग एक साथ बहुत ही सावधानी से अगल बगल से झाड़ झंकाड़ इकट्ठा कर सड़क के किनारे लाकर रख दिए और उसमें आग लगा दी ।थोड़ी देर के लिए तेज रोशनी हुई जिससे लोगों ने अगल बगल से कुछ मजबूत टहनियां जल्दी जल्दी उठा कर कर उठा लाकर आग में डाल दिया फिर बस में आकर चुपचाप बैठ गए।रात के तीसरे पहर में लोगों को महसूस हुआ कि बस जैसे हिल रही या यूं कहें कि बस को कोई हिला रहा था।लोगों ने शीशे से देखने का प्रयास किया परंतु कोई दिखाई न दिया।लेकिन बस में दहशत फैल गई क्योंकि एक महिला बस में से गायब हो गई।लोगों को बड़ा ताज्जुब हो रहा था कि बस के सभी खिड़की दरवाजे पूरी तरह से बंद थी और वह महिला दिवस के अंदर थी फिर अचानक इस तरह वह कहां गायब हो गई। अब लोगों के अंदर और भय व्याप्त हो गया और भय व्याप्त हो गया धीरे धीरे थोड़ी-थोड़ी देर पर जब भी बस हिलती तभी कोई ना कोई यात्री गायब हो जाता ।होते करते किसी तरह सुबह हुई ,लेकिन तब तक बस में से 6 आदमी गायब हो चुके थे लोगों के मुंह से डर के मारे आवाज नहीं निकल रही थी किसी तरह सुबह हुई तब लोगों को थोड़ा चैन मिला ।लेकिन उन छ:आदमियों के इस तरह रहस्यमय ढंग से गायब होने के बारे में लोग आश्वस्त नहीं हो पा रहे थे। इस तरह एक खूनी जंगल में बैठे-बिठाए 6 लोगों को अपने चंगुल में दबोच कर गायब कर दिया ।किसी तरीके से दहशत के बीच सारे यात्री झुंड के रूप में पैदल चलते हुए जंगल से बाहर निकले।
अब लोगों को विश्वास हो रहा था कि इस जंगल के बारे में जो अफवाह है वह कहीं ना कहीं सच है।
◆ सुधीर श्रीवास्तव

Language: Hindi
1 Like · 418 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
2572.पूर्णिका
2572.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
संविधान शिल्पी बाबा साहब शोध लेख
संविधान शिल्पी बाबा साहब शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दोहावली
दोहावली
Prakash Chandra
शुभम दुष्यंत राणा shubham dushyant rana ने हितग्राही कार्ड अभियान के तहत शासन की योजनाओं को लेकर जनता से ली राय
शुभम दुष्यंत राणा shubham dushyant rana ने हितग्राही कार्ड अभियान के तहत शासन की योजनाओं को लेकर जनता से ली राय
Bramhastra sahityapedia
हर दिन एक नई शुरुआत हैं।
हर दिन एक नई शुरुआत हैं।
Sangeeta Beniwal
दूर अब न रहो पास आया करो,
दूर अब न रहो पास आया करो,
Vindhya Prakash Mishra
पत्थर दिल समझा नहीं,
पत्थर दिल समझा नहीं,
sushil sarna
नग मंजुल मन मन भावे🌺🪵☘️🍁🪴
नग मंजुल मन मन भावे🌺🪵☘️🍁🪴
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
एक तरफ
एक तरफ
*Author प्रणय प्रभात*
जीवन में कभी भी संत रूप में आए व्यक्ति का अनादर मत करें, क्य
जीवन में कभी भी संत रूप में आए व्यक्ति का अनादर मत करें, क्य
Sanjay ' शून्य'
सूरज दादा ड्यूटी पर (हास्य कविता)
सूरज दादा ड्यूटी पर (हास्य कविता)
डॉ. शिव लहरी
पाँच सितारा, डूबा तारा
पाँच सितारा, डूबा तारा
Manju Singh
हवन
हवन
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मैं किताब हूँ
मैं किताब हूँ
Arti Bhadauria
विचार, संस्कार और रस [ एक ]
विचार, संस्कार और रस [ एक ]
कवि रमेशराज
"अमीर खुसरो"
Dr. Kishan tandon kranti
फिर एक पलायन (पहाड़ी कहानी)
फिर एक पलायन (पहाड़ी कहानी)
श्याम सिंह बिष्ट
नया साल
नया साल
विजय कुमार अग्रवाल
नहीं लगता..
नहीं लगता..
Rekha Drolia
स्टेटस अपडेट देखकर फोन धारक की वैचारिक, व्यवहारिक, मानसिक और
स्टेटस अपडेट देखकर फोन धारक की वैचारिक, व्यवहारिक, मानसिक और
विमला महरिया मौज
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
समल चित् -समान है/प्रीतिरूपी मालिकी/ हिंद प्रीति-गान बन
समल चित् -समान है/प्रीतिरूपी मालिकी/ हिंद प्रीति-गान बन
Pt. Brajesh Kumar Nayak
चंद्रयान 3
चंद्रयान 3
Dr.Priya Soni Khare
Ranjeet Shukla
Ranjeet Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
*राजा-रंक समान, हाथ सब खाली जाते (कुंडलिया)*
*राजा-रंक समान, हाथ सब खाली जाते (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मैं और दर्पण
मैं और दर्पण
Seema gupta,Alwar
शायद ये सांसे सिसक रही है
शायद ये सांसे सिसक रही है
Ram Krishan Rastogi
जीवन
जीवन
Bodhisatva kastooriya
मन मेरा मेरे पास नहीं
मन मेरा मेरे पास नहीं
Pratibha Pandey
पहले देखें, सोचें,पढ़ें और मनन करें तब बातें प्रतिक्रिया की ह
पहले देखें, सोचें,पढ़ें और मनन करें तब बातें प्रतिक्रिया की ह
DrLakshman Jha Parimal
Loading...