खुश्बू जानी-पहचानी थी
मुद्दतों बाद वो दिखे मुझे,
पर अपनों की निगरानी थी,
खुश्बू जानी-पहचानी थी।
एक दिवस मैं गया था,
लेने कुछ सामान,
कोई बगल से गुजरा,
जिसकी खुश्बू थी आसान।
आगोश किसी का याद आया,
मन में अन्तर्नाद हुआ,
पीछे मुड़कर देखा तो,
थे अपने नाफ़र्मान।।
दिल में था प्रेमभाव और
कदमों की नातवानी थी।
खुश्बू जानी-पहचानी थी।