Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Dec 2016 · 3 min read

खुशियों का खजाना

बात तकरीबन बीस वर्ष पुरानी है। यह मोहल्ला लोअर मिडिल क्लास लोगों का था। जिनकी आमदनी छोटी किन्तु ख्वाहिशें बड़ी थीं। मोहल्ले में एक चीज़ की चर्चा बड़े ज़ोरों पर थी। ‘सबरीना ट्रेडर्स’ जिसका नारा था ‘खुशियाँ अब आपके बजट में’ सभी बस इसी विषय में बात रहे थे। सबरीना ट्रेडर्स सभी को आधी कीमत पर उनकी ज़रुरत का सामान जैसे टी .वी . फ्रिज सोफा टू -इन -वन इत्यादि दिलाने का वादा कर रहे थे। बस शर्त यह थी की सामन की १५ दिन पहले एडवांस बुकिंग करानी होगी और पूरे पैसे बुकिंग के समय ही देने होंगे। पहले तो लोग झिझक रहे थे किन्तु वर्मा जो कुछ ही दिन पूर्व मोहल्ले में रहने आया था ने पहल की और सामन की बुकिंग कराई। १५ दिन बाद उसका घर सामन से भर गया। वह औरों को अपना उदहारण देकर सामान की बुकिंग कराने के लिए प्रेरित करने लगा। उससे प्रेरणा पाकर कुछ और लोगों ने भी हिम्मत दिखाई और उनका घर भी मनचाहे सामान से भर गया। अब तो बात जंगल की आग की तरह फ़ैल गयी। सबरीना ट्रेडर्स के दफ्तर में बुकिंग कराने वालों का तांता लग गया। दूर दूर से लोग बुकिंग कराने आने लगे।
बात जमुना चाची तक भी पहुंची। वो अपनी बेटी के दहेज़ का सामन जुटा रही थीं। उन्होंने सोंचा वो भी क्यों न इस अवसर का लाभ उठायें। आधी कीमत पर सामान मिलेगा तो दहेज़ बढ़ जाएगा। दहेज़ अधिक होने से उनकी बेटी का ससुराल में सम्मान भी बढेगा। अतः वह भी जाकर बुकिंग करवा आईं।
सभी १५ दिन पूरे होने की प्रतीक्षा करने लगे। कुछ लोग तो रोज़ ही हाल चाल लेने के लिए वहाँ का एक चक्कर लगा लेते थे। जमुना चाची अक्सर मन ही मन में बेटी की विदाई के दिन का चित्र बनातीं ‘ घर का आँगन दहेज़ सामन से भरा है और सब उनकी भूरि भूरि प्रशंसा कर रहे हैं।’ वो सामान की डिलीवरी लेने को उतावली हो जाती थीं।
रविवार था। अतः सभी इत्मीनान से काम कर रहे थे। कुछ लोग रोज़ की तरह टहलते हुए सबरीना ट्रेडर्स के दफ्तर पहुँच गए। वहां तो मामला ही अलग था। रातों रात वहां से सब गायब हो गया था। वहाँ कोई भी नहीं था जिससे कुछ पूछा जा सके। कुछ ही देर में यह खबर पूरे मोहल्ले में फ़ैल गयी। लोग सबरीना ट्रेडर्स के दफ्तर पहुँचने लगे किन्तु कोई लाभ नहीं था। सभी लोगों में गुस्सा था। कुछ लोगों ने थाने जाकर रिपोर्ट भी लिखाई। धीरे धीरे हताश होकर सभी घर लौट गए। पता चला की वर्मा भी आधी रात में सारा सामन ट्रक में लादकर कहीं चला गया।
जमुना चाची की बेटी जब घर लौटी तो उसने देखा वह आगन की फर्श पर अपने घुटनों में अपना सर छुपाये बैठी थीं। उसने घबरा कर पूछा ” क्या हुआ अम्मा ऐसे क्यों बैठी हो।” जमुना चाची ने अपना सर उठाया। कुछ देर तक फटी फटी आँखों से उसे देखती रहीं फिर अपना सर उसके कंधे पर रख कर रोने लगीं। उन्होंने जिस घड़े में अशर्फियों के लालच में हाथ डाला था उसमें सांप छिपा था।

Language: Hindi
376 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"युद्ध नहीं जिनके जीवन में, वो भी बड़े अभागे होंगे या तो प्र
Urmil Suman(श्री)
फ़ितरत-ए-दिल की मेहरबानी है ।
फ़ितरत-ए-दिल की मेहरबानी है ।
Neelam Sharma
जवानी के दिन
जवानी के दिन
Sandeep Pande
पेड़ लगाओ तुम ....
पेड़ लगाओ तुम ....
जगदीश लववंशी
मजा मुस्कुराने का लेते वही...
मजा मुस्कुराने का लेते वही...
Sunil Suman
मैं तो महज पहचान हूँ
मैं तो महज पहचान हूँ
VINOD CHAUHAN
मुक्तक
मुक्तक
sushil sarna
नादान था मेरा बचपना
नादान था मेरा बचपना
राहुल रायकवार जज़्बाती
जज्बात
जज्बात
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
क्यू ना वो खुदकी सुने?
क्यू ना वो खुदकी सुने?
Kanchan Alok Malu
"अंतिम-सत्य..!"
Prabhudayal Raniwal
2545.पूर्णिका
2545.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
भारत में भीख मांगते हाथों की ۔۔۔۔۔
भारत में भीख मांगते हाथों की ۔۔۔۔۔
Dr fauzia Naseem shad
हारो कभी न धैर्य को ,रखो सदा विश्वास (कुंडलिया)
हारो कभी न धैर्य को ,रखो सदा विश्वास (कुंडलिया)
Ravi Prakash
पिछले पन्ने 3
पिछले पन्ने 3
Paras Nath Jha
*प्रेम भेजा  फ्राई है*
*प्रेम भेजा फ्राई है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ज़माने की निगाहों से कैसे तुझपे एतबार करु।
ज़माने की निगाहों से कैसे तुझपे एतबार करु।
Phool gufran
बंधन में रहेंगे तो संवर जायेंगे
बंधन में रहेंगे तो संवर जायेंगे
Dheerja Sharma
* हो जाओ तैयार *
* हो जाओ तैयार *
surenderpal vaidya
చివరికి మిగిలింది శూన్యమే
చివరికి మిగిలింది శూన్యమే
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
हर परिवार है तंग
हर परिवार है तंग
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
मिसाइल मैन को नमन
मिसाइल मैन को नमन
Dr. Rajeev Jain
मायने रखता है
मायने रखता है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
रिश्ते
रिश्ते
पूर्वार्थ
हकीकत
हकीकत
अखिलेश 'अखिल'
जो मेरी जान लेने का इरादा ओढ़ के आएगा
जो मेरी जान लेने का इरादा ओढ़ के आएगा
Harinarayan Tanha
कतौता
कतौता
डॉ० रोहित कौशिक
शब्द
शब्द
Sangeeta Beniwal
■ मुक्तक...
■ मुक्तक...
*Author प्रणय प्रभात*
"दलबदलू"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...